Narayanpur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नारायणपुर जिले (Narayanpur) के नक्सल (Naxal) प्रभावित क्षेत्र छोटे डोंगर के स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम स्कूल (Swami Atmanand Hindi Medium School) में एक साथ दसवीं कक्षा के 40 छात्रों को प्रिंसिपल ने टीसी थमा दिया है. इससे वहां पढ़ने वाले छात्रों में हड़कंप मच गया, जबकि प्रिंसिपल के इस हरकत से पीड़ित छात्रों के परिजनों में काफी नाराजगी है. स्कूल के प्रिंसिपल ने दसवीं कक्षा में फेल हुए छात्रों को शिक्षा सत्र शुरू होने के करीब 2 महीने बाद अचानक टीसी थमा दिया है.


संबंधित प्रिंसिपल का कहना है कि नियम के मुताबिक यह कार्रवाई की गई है. जबकि परिजनों का आरोप है कि उनके बच्चे दसवीं कक्षा में एक ही साल फेल हुए हैं, जबकि नियम के मुताबिक 2 साल फेल हुए बच्चों को स्कूल से निकाला जाता है. नक्सल प्रभावित छोटे डोंगर में स्वामी आत्मानंद स्कूल के अलावा यहां कोई दूसरा स्कूल नहीं है. ऐसे में प्रिंसिपल द्वारा मनमानी कर छात्रों को स्कूल से निकाल दिए जाने से पैरेंटस को अपने बच्चों की भविष्य की चिंता सताने लगी है. पैरेंटस ने इस मामले में मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है.


प्रिंसिपल ने थमाया 40 बच्चों को टीसी


छोटा डोंगर नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. यहां कुछ साल पहले ही शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद स्कूल की सौगात मिली है. जिससे आसपास के पैरेंटस को अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने की उम्मीद थी,  लेकिन इस स्कूल में भी स्टाफ की कमी बनी हुई है. इस वजह से पिछले साल हुए 10वीं बोर्ड परीक्षा में पढ़ने वाले करीब 40 छात्र फेल हो गए. छात्रों ने नए शिक्षा सत्र में दोबारा स्कूल जाना शुरू किया, लेकिन प्रिंसिपल ने सत्र शुरू होने के 2 महीने बाद 40 छात्रों को यह कहकर टीसी थमा दिया कि आप लोग दसवीं में फेल हो गए थे, इसलिए दोबारा इस स्कूल में पढ़ाई नहीं कर सकते. ये यहां का रूल है. प्रिंसिपल के इस हरकत से छात्रों के पैरेंटस में काफी आक्रोश भी है. पैरेंटस का कहना है कि छोटे डोंगर में स्वामी आत्मानंद स्कूल के अलावा और कोई स्कूल नहीं है, अगर बच्चे दोबारा स्कूल नहीं जा पाए और पढ़ाई छोड़ देते हैं तो उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा. एक तरफ जहां राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ 1 साल बोर्ड परीक्षा में फेल हुए बच्चों को स्कूल से निकाल रही है. पैरेंटस ने बताया कि दोबारा बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने को लेकर नारायणपुर कलेक्टर से मुलाकात की गई, लेकिन उनकी ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है.


प्रिंसिपल से टीसी देने की पूछा जाएगी वजह- जिला शिक्षा अधिकारी


जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र झा का कहना है कि शासन के नियम के मुताबिक दसवीं में अगर 2 साल कोई छात्र फेल होता है, तो उसे दोबारा स्कूल में एडमिशन देने की अनुमति नहीं है. हालांकि छात्र ओपन परीक्षा दे सकता है, लेकिन उसे स्कूल आने की अनुमति नहीं होगी.  40 छात्रों में ऐसे भी छात्र हैं जो 2 साल फेल हुए हैं और कुछ बच्चे हैं जो 1 साल फेल हुए हैं. हालांकि 1 साल फेल हुए उन बच्चों को प्रिंसिपल ने टीसी क्यों थमाया है, इसकी जानकारी प्रिंसिपल से ली जा रही है. जिला शिक्षा अधिकारी ने भी माना कि बच्चों के फेल होने की वजह कोर्स कंप्लीट नहीं होना भी हो सकती है, क्योंकि छोटे डोंगर में संचालित स्वामी आत्मानंद स्कूल में स्टाफ की कमी है. नए सत्र 1 जुलाई से सभी स्टाफ की पूर्ति की गई है और आने वाले साल में कोशिश रहेगी कि बोर्ड परीक्षा देने वाले सभी बच्चे पास हो जाएं.


एबीवीपी ने दी धरना प्रदर्शन की चेतावनी


छोटे डोंगर में स्वामी आत्मानंद स्कूल के 2 संस्थाएं खुली हैं, जिसमें पहली से दूसरी कक्षा तक इंग्लिश मीडियम संचालित किया जा रहा है. जबकि दूसरे स्कूल में पहली से 12वीं कक्षा तक हिंदी मीडियम में पढ़ाई हो रही है. स्कूल खुलने से बड़ी संख्या में छोटे डोंगर और आसपास के ग्रामीण बच्चों ने यहां एडमिशन लिया है, लेकिन अब प्रिंसिपल के मनमानी से बच्चों के पैरेंटस में भी अपने बच्चे की भविष्य की चिंता सताने लगी है. एबीवीपी के छात्रों का कहना है कि पहले ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल की कमी है, ऐसे में शासन इन जगहों पर स्कूल संचालित कर रहा है तो यहां स्टाफ की कमी बनी हुई है. कमजोर बच्चो को जान बूझकर स्कूल से निकालने के लिए इस तरह की ओछी हरकत की जा रही है. एबीवीपी छात्र संगठन के नगर मंत्री ईशान जैन का कहना है कि 48 घंटों में अगर शिक्षा विभाग निकाले गए बच्चों को वापस एडमिशन नहीं देता है, तो बच्चों के पैरेंटस के साथ एबीवीपी के छात्र उग्र प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे.


ये भी पढ़ें: Chhattisgarh: सुकमा के जंगल में 'शहीद सप्ताह' मनाने के लिए जुटे थे नक्सली, सुरक्षा बलों ने की बड़ी कार्रवाई