छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित नगरनार एनएमडीसी स्टील प्लांट प्रबंधन के खिलाफ स्थानीय भू प्रभावितों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है, पिछले 5 दिनों से प्लांट के समक्ष भू प्रभावित 8 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दे रहे है,  भू प्रभावितों ने जय झाड़ेश्वर भू प्रभावित समिति के बैनर तले एनएमडीसी स्टील प्लांट का घेराव किया.


एनएमडीसी स्टील प्लांट  के ओर से पहुंचे अधिकारियों ने भू प्रभावितों को मनाने की भरसक कोशिश भी की. लेकिन भू प्रभावित अपनी मांगों पर अड़े रहे. दरअसल  स्थानीय भू प्रभावितों के द्वारा एनएमडीसी स्टील प्लांट में माल ढुलाई करने वाले वाहनों में उन्हें प्राथमिकता देने, स्थानीय लोगों को रोजगार देने, शिक्षा स्वास्थ्य सहित स्थानीय गांव के विकास के लिए राशि उपलब्ध कराने की मांग लंबे समय से करते आ रहे  है. 


भू प्रभावित लोगों का फूट पड़ा है गुस्सा
इसके अलावा एनएमडीसी से निकलने वाले दूषित पानी जिससे किसानों के खेत खराब हो रहे है उसका निराकरण करने की मांग भी आंदोलनकारियों के द्वारा लगातार की जा रही है. साथ ही इस दूषित पानी से खराब हो चुकी फसल के उचित मुआवजे की मांग भी प्रभावित कर रहे है, लगातार चर्चा के बाद भी आंदोलन के 5 वें दिन भी कोई समाधान नहीं निकलने से भू प्रभावित लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और सैकड़ों की संख्या में प्लांट के सामने प्रभावितों ने प्लांट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


गुमराह करने का लगा रहा है आरोप
इधर एनएमडीसी स्टील लिमिटेड के संचार प्रमुख ने कहा है की उनकी ओर से मांगों को लेकर अपना पक्ष रखा गया है, एनएमडीसी के अधिकारी आंदोलन के जल्द समाधान की बात कह रहे है. दूसरी तरफ आंदोलनकारियों ने प्रबंधन पर मांगों को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए आंदोलन जारी रखने की बात कही है.


लोगों ने लगाया वादाखिलाफी का आरोप
दरअसल नगरनार के सरपंच लैखन बघेल का कहना है कि इस प्लांट के लिए सैकड़ों प्रभावितों ने अपनी जमीन दी ,प्लांट लगने से पहले प्रबंधन के द्वारा बड़े-बड़े दावे तो किए गए, लेकिन प्लांट स्थापित होने के बाद इससे 20 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं, खासकर प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को किसानों के खेतों में छोड़ा जा रहा है, जिससे किसानों के खड़ी फसल बर्बाद हो रही है, लगातार इसकी शिकायत की जा रही है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.


शर्त  के हिसाब से नहीं मिल रहा मुआवजा 
सैकड़ों किसानों के खेत में लगी खड़ी फसल दूषित पानी की वजह से पूरी तरह से खराब हो गई है, मुआवजा की मांग के बावजूद भी प्लांट प्रबंधन किसानों की मांग की अनदेखी कर रहा है. यही नहीं प्लांट स्थापित करने के दौरान लोगों ने जिस शर्त पर जमीन दी थी, कि सभी भू प्रभावित घरों से एक-एक सदस्य को शिक्षा के आधार पर नौकरी दी जाएगी, लेकिन कुछ लोगों को नौकरी दी गई, लेकिन बाकी लोगों को इससे वंचित कर दिया गया है.


सहयोग नहीं किया जा रहा है सहयोग
यही नहीं शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्लांट प्रबंधन द्वारा सभी प्रभावित गांव में विकास करने के दावे किए गए थे, लेकिन इस प्लांट के पास मौजूद कई पंचायत पूरी तरह से बदहाल स्थिति में है ,इस पंचायत के कई गांव के सड़के खराब हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद प्लांट प्रबंधन के द्वारा कोई विकास कार्य नहीं किये जा रहे हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी किसी तरह का सहयोग नहीं किया जा रहा है.


तब तक आंदोलन में डटे रहेंगे
वहीं अब प्लांट बनकर तैयार हो गया है और यहां से एचआर क्वाइल भी बनकर तैयार किया जा रहा है, प्रबंधन द्वारा पहले यह वादा किया गया था कि स्थानीय लोगों को ही इस प्लांट से माल ढुलाई का काम दिया जाएगा ताकि लोकल ट्रक यूनियन को रोजगार मिल सके, लेकिन अब इस मामले में भी प्लांट प्रबंधन कोई ध्यान नहीं दे रहा है ,सरपंच लैखन बघेल ने कहा कि जब तक उनकी यह मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक वह अपने आंदोलन में डटे रहेंगे.


आंदोलन खत्म करने दी जा रही समझाइश
वहीं नगरनार स्टील प्लांट के संचार प्रमुख रफीक अहमद का कहना है कि बस्तर कलेक्टर के मौजूदगी में मध्यस्थता के लिए स्थानीय ग्रामीण और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बातचीत की गई है और प्लांट प्रबंधन ने अपना पक्ष भी रखा है ,अगर इस पक्ष को मानने के लिए ग्रामीण तैयार होते हैं तो बीच का रास्ता निकाला जाएगा, संचार प्रमुख रफीक अहमद ने कहा कि लगातार ग्रामीणों से बात की जा रही है, और आंदोलन समाप्त करने को कहा जा रहा है.


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