Chhattisgarh Agriculture News: ग्रीष्मकालीन धान की फसलों पर बीमारी ने कहर बरपा दिया है. शुरुआत में ही तना छेदक कीट से फसलों को नुकसान हुआ, तो अब झुलसा का प्रकोप बढ़ने लगा है. खास बात यह है कि जिम्मेदार कृषि विभाग इसको लेकर किसी प्रकार गंभीर नहीं है और किसान कीटनाशक बेचने वाले विक्रेताओं की सलाह पर दवा छिड़काव कर रहे हैं.


कृषि प्रधान जांजगीर-चांपा जिले में हसदेव बांगो की धार 10 जनवरी से छोड़ी गई है. इसके बाद जिले के नवागढ़, पामगढ़, अकलतरा और बलौदा ब्लाक के सिंचित एरिया में किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान की खेती की है.


तकरीबन महीने दिन की मेहनत के बाद किसानों की फसलों ने गर्मी में भी धरती को हरियाली की चादर से ढक लिया है. नहर की धार से पानी की कोई कमी नहीं है, लेकिन बीमारी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. शुरुआत में ही फसलों पर तना  छेदक का प्रकोप छाया रहा. 


धान के पौधे मुरझाने लगे 


इससे बचाव के लिए किसानों ने क्षेत्र के कीटनाशक विक्रेताओं की सलाह पर दवाईयों का छिड़काव किया. इसके बाद अब झुलसा ने कहर बरपा दिया है. धान के पौधे झुलसकर मुरझाने लगे हैं. जिले के नवागढ़, तुलसी, मिस्दा, करीत, उदयभांठा क्षेत्र के खेतों में झुलसा का प्रकोप दिख रहा है.


खास बात यह है कि जिम्मेदार कृषि विभाग का अमला कहीं नजर नहीं आ रहा है। किसान क्षेत्र के दवा विक्रेताओं की सलाह पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने विवश हैं.


तीन ब्लॉक के किसानों को मिल रहा लाभ


जांजगीर-चांपा जिले के 50 हजार हेक्टेयर जमीन पर ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाई गई. तीन ब्लॉक के किसानों को डबल फसल का लाभ भी मिल रहा है. जिससे ना केवल किसानों का समय बेहतर ढंग से निकल रहा है बल्कि उन्हें आर्थिक मुनाफा भी मिल रहा है. जांजगीर जिले के तीन ब्लाक में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाने के लिए 10 जनवरी से पानी छोड़ा गया है.


ताकि किसानों को गर्मी के दिनों में डबल फसल लगाने का लाभ मिल सके. मिली जानकारी के अनुसार 50 हजार हेक्टेयर जमीन पर ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाई गई है. जिसमें जांजगीर जिले के नवागढ़, पामगढ़ और अकलतरा क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ भी मिल रहा है. 


खेत में पानी छोड़ने की मांग 


पहले देखा जाता था कि गर्मी के दिनों में धान सहित अन्य फसलों की पैदावार को लेकर ध्यान तक नहीं दिया जाता था, लेकिन पिछले तीन चार सालों के भीतर ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगाने के लिए हसदेव बांध के माध्यम से 500 सौ क्युसेक पानी छोडा गया है.


वहीं बंहनीडीह और बलौदा ब्लॉक के किसानों को गर्मी के दिनों में धान की फसल लगाने के लिए पानी छोडने की मांग भी की जाती रही है.


जिन गांवो में डबल फसल लगाने के लिए पानी छोडा गया है. साथ ही साथ किसान फसल भी लगाए हुए है. यहां पर फसल की रखवाली करना भी बड़ी चुनौती बना हुआ है. कई स्थानों पर मवेशी ग्रीष्मकालीन धान की फसल को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं. जिसके चलते किसानों को कई तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.


यूरिया का कम करें छिड़काव


जांजगीर कृषि विभाग के उप संचालक एम.डी. मानकर ने कहा कि रबी की फसल में झुलसा और तना छेदक रोग होने की जानकारी मिल रही है. रोग कम करने यूरिया का छिड़काव कम करना चाहिए. वहीं ज्यादा से ज्यादा पोटाश का छिड़काव करना चाहिए.


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