Chhattisgarh: रायगढ़ में हाथियों से निपटने के लिए वन विभाग ने बनाया प्लान, अब घर बैठे एक क्लिक पर जंगल में भागेंगे हाथी
Raigarh: ऐप को एक्टव मात्र कर देने से उसमें से निकलने वाली साउंड और लाइट से डर कर हाथी जंगल की ओर भाग खड़े होंगे. इसके लिए विभाग ने हाथी प्रभावित गांवों का भी चयन कर लिया है.
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Raigarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) रायगढ़ (Raigarh) में हाथियों को ग्रामीण इलाकों से दूर रखने के लिए जहां धरमजयगढ़ वनमंडल नई योजना बना कर लाखों-करोड़ो रुपये खर्च कर रहा है. वहीं दूसरी ओर आज दो दशक बाद भी विभाग को समस्या से निजात नहीं मिल सकी है. इसी कड़ी में विभाग एक और हाईटेक टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करते हुए लेमरू प्रोजेक्ट के तहत एक नई टेक्निक इस्तेमाल करने जा रहा है. दरअसल विभाग ने हाथियों को गांवों के नजदीक आने से रोकने और हाईमा क्लाट की योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए शासन को प्रस्ताव बना कर भेजा है और इसकी स्वीकृती भी मिल जाने की बात कही जा रही है.
हाईमा क्लाट एक ऐप है. इस ऐप को एक्टीव मात्र कर देने से उसमें से निकलने वाली साऊंड और लाइट से डर कर हाथी जंगल की ओर भाग खडे होगें. इसके लिए विभाग ने हाथी प्रभावित गांवों का भी चयन कर लिया है. रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल लेमरू प्रोजेक्ट और हाईमा क्लाट योजना के तहत हाथी प्रभावित गांव पुसऊडेरा में हाई टेक्नॉलाजी लाइट्स कर इस्तेमाल करने जा रही है. इसे एक ऐप के जरिए कांट्रोल किया जाएगा. खास बात यह है कि वन विभाग अब घर बैठे-बैठे हाथियों को जंगल में खदड़ने की योजना बना रहा है. इसके लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. बताया जा रहा है कि लेमरू प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए उक्त योजना में पुसऊडेरा के चारों तरफ हाई वॉल्टेज लाइट्स लगाई जाएंगी.
हो चुका है टेंडर
इसकी रौशनी से हाथी गांव में नहीं घुस पाएंगे. वहीं इसके साऊंड सिस्टम के तेज सायरन से डर हाथी जंगल की ओर पलायन कर जाएंगे. विभागीय सूत्रों की माने तो लेमरू प्रोजेक्ट के तहत इस हाईमा क्लाट योजना में सायरन सिस्टम, सोलर फेसिंग और लाइट लगाने के सभी प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है. इसमें टेंडर भी हो जाने की बात कही जा रही है. धरमजयगढ़ डीएफओ अभिनव जोगावत ने कहा कि हाथियों को गांवों के नजदीक आने से रोकने के लिए लेमरू प्रोजेक्ट के तहत कई प्रकार की योजनाओं पर काम किया जा रहा है. इसमें हाईमा क्लाट योजना, सोलर फेंसिंग, सायरन और लाइट्स लगाने के लिए हाथी प्रभावित गांवों का चुनाव कर लिया गया है. इसमें टेंडर भी हो गया है.
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