Raigarh News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सोनोग्राफी करने के लिए डॉक्टर नहीं हैं. अस्पताल में स्थाई डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो सकी है. अब तक संविदा आधार पर काम चलाया जा रहा है. जनवरी माह में करार खत्म हुआ तो तैनात डॉक्टर छोड़कर चले गए. ऐसे में सोनोग्राफी जैसे मुख्य जांच बंद हो गया है. अब मरीजों को उपचार के पहले सोनोग्राफी के लिए शहर के चक्कर लगाना होता है. जिसके बाद ही उपचार संभव है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन डॉक्टर की तलाश कर रहे हैं. अभी व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ रहा है.


रायगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज तो बना दिया गया है, मगर वहां स्टाफ की भर्ती लंबे अरसे बाद भी नहीं हो सका है. आधे-अधूरे स्टाफ के भरोसे अस्पताल का संचालन किया जा रहा है. बड़ा जिला होने के साथ ही आसपास के जिले के मरीज भी यहां उपचार कराने के लिए पहुंचते हैं. मेडिकल कॉलेज होने के बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है. रोजाना 2 से 3 दर्जन महिलाएं डिलीवरी के लिए मेडिकल कॉलेज आती है. ऐसे में बिना सोनोग्राफी के डिलीवरी संभव नहीं है. मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी बंद हो गया है. इसका मुख्य कारण डॉक्टर का नहीं होना है.


रायगढ़ अस्पताल में है स्टाफ की कमी 


चूंकि शासन स्तर पर रेगुलर रेडियोलॉजिस्ट की भर्ती ही नहीं हो सका है. जिसके कारण आए दिन समस्या उत्पन्न होते रहता है. अब रोजाना गर्भवती महिलाओं के साथ अलग-अलग तरह के ऑपरेशन, हादसों के शिकार अस्पताल पहुंचते है. जिनकी समस्या बढ़ गई है. इन्हें बाहर से सोनोग्राफी कराए जाने की बात कही जा रही है. मेडिकल कालेज प्रबंधन की तरफ से लगातार मांग के बाद एक साल के लिए दो रेडियोलाजिस्ट अस्थाई तौर पर मिला था.


जो सोनोग्राफी करते थे. जनवरी माह में एक साथ दोनों रेडियोलाजिस्ट का बांड खत्म हो गया, जिसके बाद अब यहां एक भी रेडियोलाजिस्ट नहीं है. ऐसे में यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों को बाहर से जांच कराना पड़ रहा है. जिससे निजी लैब संचालक भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए मनमाने रेट ले रहे हैं. सबसे ज्यादा गरीब तबके के लोगों को परेशान होना पड़ रहा है.


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