Raigarh Milk Consumption Increased In Summer: गर्मी का असर बढ़ने के साथ बाजार में पिछले 15 दिनो में डेयरी उत्पादों की मांग अत्याधिक बढ़ गई है. ऐसे में दुग्ध संघ से लेकर विभिन्न कंपनियों के छाछ लस्सी और श्रीखंड के साथ अन्य उत्पाद की सबसे ज्यादा मांग की जा रही है.


रायगढ़ शहर समेत जिले में आम दिनों में रोज दूध की खपत 1 से डेढ़ लाख लीटर है. जबकि इन दिनों बढ़कर दो से ढाई लाख लीटर रोज की खपत हो गई है. यह खपत जून के अंत तक बनी रहेगी. दूध उत्पादकों से जुड़े व्यापारियों के लिए सबसे मुनाफे का समय माना जाता है. हांलांकि गर्मी बढ़ने से दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। पानी की कमी से मवेशी कम दूध दे रहे हैं. 


रायगढ़ शहर के जगह जगह बनाए गए मिल्क पार्लर में सबसे ज्यादा मांग छाछ और लस्सी की है. मांग के अनुरूप छाछ उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरे दूध उत्पाद में लस्सी आन डिमांड बनी हुई है. इसके साथ अन्य कंपनियों के उत्पादों की बिक्री भी जोरों से हो रही है. गर्मियों में डेयरी प्रोडक्ट की मांग 35 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. डेयरी उत्पादकों के दामरू दूध डेयरी संघ के अध्यक्ष जगदीश ने बताया कि दूध के ज्यादातर व्यापारी दूध की मांग के साथ लस्सी छाछ और श्रीखंड बनाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. 


सीजन के खास 3 माह पर रहती है निगाह
लस्सी रेंज के हिसाब से 30 रुपए से 70 रुपए प्रति गिलास और कंपनियों की लस्सी 15 से 30 रुपए तक में मिल रही है. इसी तरह छाछ 7 रुपए से 30 रुपए प्रति पैकेट में मिल रहा है. डेयरी एक्सपर्ट की माने तो छाछ व लस्सी, दही और आइसक्रीम बनाने वाली कंपनियां साल भर की कमाई का आधा हिस्सा तो अप्रैल से जून में कमा लेती हैं. यही वजह है कि कंपनियों की निगाह सीजन के खास 3 माह पर रहती है.


30 से ज्यादा नए प्रोडक्ट करती है लांच
मौसम के जानकार बताते हैं कि अप्रैल से जून का तापमान चरम पर होता है. डेयरी के जानकारों का ये भी कहना है कि ज्यादातर नए आइटम गर्मियों में ही लांच होते हैं. गर्मी का सीजन शुरू होते ही कंपनियां बाजार में डेयरी से जुड़े करीब 30 से ज्यादा नए प्रोडक्ट लांच करती है. छाछ पीने के कई फायदे होते हैं. पेट में ठंडक बनी रहती है. पेट संबंधित समस्याओं को कम करता है. शरीर में पानी की कमी को दूर करता है. कोलेस्ट्रॉल को लेवल में लाता है. इसी तरह लस्सी भी पेट के लिए फायदेमंद होता है.


गर्मी में दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित
गर्मी के दिनों में फसलों की कटाई के बाद पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है. हरे चारे की कमी और तेज गर्मी के कारण पशु चाव से खाना नहीं खाते हैं जिसके कारण दूध उत्पादन में कमी होने लगती है. पशुपालक गिरिजा राय बताते हैं कि हर साल गर्मी के मौसम में चारे की समस्या और गर्मी के कारण गाय भैंस चाव से नहीं खाते हैं जिस कारण से दूध में कमी आ जाती है. शहर में 60 फीसद लोग डेयरी से दूध खरीदते हैं जबकि 40 प्रतिशत को घर पहुंच दूध उपलब्ध होता है.


आधे जून तक बनी रहेगी डिमांड
छाछ, लस्सी की डिमांड गर्मी में ज्यादा बढ़ जाती है. मार्च के महीने से ही लोग छाछ, लस्सी का सेवन बढ़ा देते हैं. इसके बाद मांग बढ़ती जाती है और गर्मी के दिनों में इसे घर-घर पिया जाता है. इसी वजह सालभर में मार्च मध्य से जून मध्य तक इन दोनों पेय पदार्थ को सबसे अधिक पिया जाता है. यह एक तरह का परंपरागत एनर्जी ड्रिंक है. इससे शरीर को तत्काल एनर्जी मिलती है साथ ही कई तरह के विटामिन, प्रोटीन व अन्य जरूरी तत्व इससे शरीर को मिलते हैं.


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