Raigarh News: किसी निर्माणाधीन भवन की दीवार हवा के झोंके से ढह जाए, तो यह समझना कठिन है कि उसे बनाने में किस कदर भ्रष्टाचार हुआ होगा. यह कोई कहानी नहीं बल्कि रायगढ़ (Raigarh) जिले के आदिवासी ब्लॉक घरघोड़ा में प्रस्तावित मुनगा प्रोसेसिंग यूनिट में घटी वास्तविक घटना है. यहां 87 लाख की लागत से इस यूनिट का कंस्ट्रक्शन शुरु हुआ था, लेकिन इसकी एक दीवार ढह गई.
इसकी जांच जब पीडब्ल्यूडी ने की तो इसमें कई तरह की तकनीकी खामियां सामने आई. अब दोबारा इसकी जांच एडीएम संजन जांगड़े करेंगी. हालांकि दीवार गिरने के बाद पहले टेंडर को निरस्त कर दिया गया है. साथ ही दोबारा टेंडर मांगा गया है. दिलचस्प बात यह है कि यह प्रोजेक्ट आदिवासी विकास के लिए था. इसका टेंडर डायरेक्ट रायपुर से हुआ था. इसकी मॉनिटरिंग कोई प्राइवेट संस्था कर रही थी. वहीं अब इसका निर्माण करने वाली फर्म के इंजीनियर तक फरार हो गए हैं.
निर्माणाधीन भवन की एक दीवार गिरी
रायगढ़ जिले के आदिवासी क्षेत्र में रोजगार के साधन बढ़ाने और मुनगा की ब्रांडिंग करने के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग ने परियोजना मद से इस प्रोजेक्ट के लिए दो करोड़ मंजूरी दी थी. यह योजना केंद्र सरकार की है. केंद्र ने ही इस प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दी थी. घरघोड़ा में मुनगा प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का काम शुरू हुआ था. यूनिट की बिल्डिंग का काम किसी जैन एसोसिएट कंपनी को मिला था, लेकिन मई 2022 में इस निर्माणाधीन भवन की एक दीवार भरभराकर ढह गई. दीवार गिरने का जो कारण बताया गया, वो काफी हैरान करने वाला था.
बताया गया कि दीवार तेज आंधी के कारण गिर गई. वहीं घटना के बाद पीडब्लयूडी के अधिकारियों ने जांच की और इसकी गुणवत्ता को लेकर कई तरह के सवाल उठाए. इस घटना को एक साल से अधिक समय गुजर चुका है. अब उद्यानिकी विभाग बाकी काम का रीटेंडर करने के लिए अनुमति मांग रहा है, लेकिन इजाजत अब तक मिली नहीं है. ऐसे में दो करोड़ का प्रोजेक्ट अधर लटका हुआ है.
30 लाख का हो चुका है भुगतान
भवन का काम कितनी फीसदी हुआ है, इसका आंकलन को अभी तक नहीं हो सका है, लेकिन विभाग की ओर से कंस्ट्रक्शन कंपनी को 30 लाख का भुगतान कर दिया गया है. दूसरी ओर उस ठेकेदार का ठेका भी निरस्त कर दिया गया है. ऐसे में 30 लाख लेकर ठेकेदार मौज कर रहा है. अब री-टेंडर की तैयारी हो रही हैयह प्रोजेक्ट पांच आदिवासी ब्लॉक घरघोड़ा, खरसिया, लैलूंगा, तमनार और धरमजयगढ़ के किसानों को भी मुनगा की खेती से जोडकर शुरू किया जाना था. पूरी यूनिट के लिए करीब 1.90 करोड़ स्वीकृत किए गए थे, जिसमें केवल भवन निर्माण के लिए 87 लाख रुपये थे.
जोबी और लैलूंगा में लगाया मुनगा पेड़
बताया जा रहा है कि जिले के आदिवासी ब्लॉक जोबी और लैलूंगा में मुनगा के पेड़ लगाए गए थे. अब इन पेड़ों की स्थिति क्या है. यह कोई बता नहीं पा रहा है. सहायक संचालक उद्यानिकी कमलेश दिवान से इस मामले में चर्चा करने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, लेकिन लैलूंगा में लगे पेड़ सुरक्षित होने की बात कही जा रही है.