Raigarh Maa Chandrahasini Mandir: मां चंद्रहासिनी देवी को समर्पित भव्य मंदिर रायगढ़ से करीब 22 किलोमीटर दूर चंद्रपुर में स्थित है. अब चंद्रहासिनी देवी मंदिर में बलि प्रथा बंद होने वाली है. लंबे समय से बलि प्रथा पर रोक लगाने की आवाज उठ रही थी.


चंद्रहासिनी मंदिर ट्रस्ट ने शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) के बाद बलि प्रथा को पूरी तरह बैन करने का फैसला कर लिया है. मंदिर परिसर में बोर्ड चस्पा कर श्रद्धालुओं को जानकारी दे दी गयी है. चंद्रहासिनी मंदिर में हर साल सैकड़ों भक्त बदना, मन्नत स्वरूप बकरे की बलि देते हैं.


इस प्रसिद्ध मंदिर में लगेगी बलि पर रोक


बलि देने की परंपरा वर्षों पुरानी है. बताया जाता है कि हर साल 1000 से 1500 बकरे की बलि दी जाती है. बलि प्रथा को रोकने की भक्त मांग कर रहे थे. भक्तों के सुझाव पर अमल करते हुए चंद्रहासिनी मंदिर ट्रस्ट ने बलि को बैन करने का फैसला कर लिया है. बोर्ड पर दी गयी जानकारी के मुताबिक 18 अक्टूबर 2024 तक बदना पूरा कर लेने को कहा गया. 18 अक्तबूर के बाद मंदिर में बलि नहीं दी जा सकेगी. इस साल 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होकर 12 अक्टूबर तक चलेगा. यानी शारदीय नवरात्रि के बाद से बलि की वर्षों पुरानी परंपरा बंद हो जाएगी. 




जानिए कब से फैसला होगा प्रभावी?


चंद्रहासिनी मंदिर की स्थापना के बाद से बलि प्रथा चली आ रही है. शारदीय नवरात्रि के समय बलि की संख्या बढ़ जाती है. आम तौर पर बदना वाले तय दिनों में बलि के लिए लोग पहुंचते हैं. जानकारों के मुताबिक शारदीय नवरात्रि में रोजाना 200 से 300 बकरे की बलि दी जाती है. चैत्र नवरात्रि में भी बलि दी जाती है. हर साल 15 सौ से 2 हजार बकरे की बलि देने की परंपरा है. लंबे समय से श्रद्धालु धार्मिक कुरीति को बंद करने का सुझाव दे रहे थे. ऐसे में विचार-विमर्श के बाद बलि प्रथा को बंद करने पर सहमति बनी. बदना वाले भक्तों को सूचित कर दिया गया है कि तय समय तक मनौती पूरी कर लें.


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