Raipur Indoor Stadium Covid Care Center: कोरोना की भयावह दूसरी लहर हर किसी को याद है. साल 2021 में अप्रैल में रोजाना राजधानी रायपुर में ही 4 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे थे. दर्जनों लोगों की कोरोना से मौत हो रही थी. बेड की तलाश में अफरा-तफरी मची गई थी. सरकारी और निजी अस्पतालों में सारे ऑक्सीजन बेड भर चुके थे. तब आनन-फानन में कहें या केवल 48 घंटे में हालात कंट्रोल करने के लिए रायपुर के इंडोर स्टेडियम को एक 300 बेड के अस्थाई कोविड केयर सेंटर में बदला गया.


बीजेपी आरटीआई सेल के आंकड़े गलत


अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए बेड, बल्ब, सीसीटीवी सामान को किराए पर लिया गया था. इस पर बीजेपी आरटीआई सेल ने आरोप लगाया है कि किराए की लागत में नया सामान खरीदा जा सकता था. वहीं प्रतिवेदन आने के बाद आरटीआई सेल द्वारा जारी आंकड़ों में उलटफेर हुआ है. बीजेपी आरटीआई सेल ने सीसीटीवी साउंड सिस्टम के लिए 59 लाख 37 हजार 662 रुपए का खर्च बताया था लेकिन इसमें केवल 14 लाख 54 हजार 110 रुपए व्यय हुआ था. 25 इंटरकॉम का खर्च 11 लाख 25 हजार बताया गया लेकिन वास्तविक व्यय 2 लाख 50 हजार रुपए है. वहीं कुल व्यय 79 लाख 90 हजार 162 रुपए बताया गया लेकिन प्रतिवेदन के अनुसार 73 लाख 86 हजार 728 रुपए था.


किन हालातों में बनाई गई अस्थाई कोविड सेंटर 


बीजेपी आरटीआई सेल के जारी आंकड़ों के बाद इस मामले में नगर निगम रायपुर के आयुक्त प्रभात मलिक की प्रतिक्रिया सामने आई है. प्रभात मलिक ने बताया कि अप्रैल के महीने में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे थे. तत्काल बेड की आवश्यकता थी. दो दिन में 300 बेड के अस्थाई कोविड सेंटर तैयार करने के लिए कोरोना लॉकडाउन के समय संभव नहीं था. खरीदी में समय लग जाता इतने में कई लोगों की मौत हो जाती. प्रभात मलिक ने यह भी बताया कि रायपुर स्मार्ट सिटी द्वारा इससे पहले भी सामानों का उपयोग किया था. न्यूनतम दर में एजेंसी को इम्पैनल्ड किया गया था. इसके अलाव सामान लाने, सेटअप तैयार करने और उपयोग के दिनों में किसी भी प्रकार की टूट-फूट और सामग्री को आवश्यकता अनुसार बदलने और रखरखाव की जिम्मेदारी भी सम्मिलित थी. भुगतान पर उठ रहे सवाल पर प्रभात मलिक ने जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि इसी दर पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने भुगतान किया है. नया रायपुर में भी अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाया गया था.


स्मार्ट सिटी का प्रतिवेदन


स्मार्ट सिटी द्वारा जारी प्रतिवेदन में बताया गया है कि अगर सामान खरीदा भी जाता तो ऐसी एजेंसी खरीदे गए सामानों का मेंटेनेंस नहीं करती है. इम्पैनल्ड एजेंसी द्वारा यह कार्य भी किराये की दर में बिना अतिरिक्त चार्ज के लॉकडाउन में स्वीकार किया और कई बार उनके कर्मचारियों द्वारा पी.पी.ई. कीट पहनकर मेंटेनेंस किया गया. प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि इंडोर स्टेडियम कोविड केयर सेंटर में 12 अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक 50 दिन तक संचालन किया गया था. इसके लिए 2 एजेंसियों को पहले से स्वीकृत इम्पैनल्ड दर पर भुगतान किया गया. जिसके अनुसार एक एजेंसी को 59 लाख 32 हजार 618 रुपए और दूसरी एजेंसी को 14 लाख 54 हजार 110 रुपए और कुल 73 लाख 86 हजार 728 रुपए भुगतान किया गया है. इसका जीएसटी सहित भुगतान रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा किया गया है.


कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने


इस मामले में अब कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मामले पर कांग्रेस पर तंज कसा है तो कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने धरमलाल कौशिक के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि देश की 3 बड़ी समस्या है कोरोना, करप्शन और कांग्रेस. इसके जवाब में कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने कहा कि धरमलाल कौशिक जी मैं बताना चाहूंगा देश की असली समस्या दो ही हैं, बीजेपी और नरेंद्र मोदी. देश की अर्थ व्यवस्था, देश में मंहगाई और बेरोजगारी इन सब के लिए बीजेपी और नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं.


ये भी पढ़ें-


छत्तीसगढ़: आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मौत के आंकड़ों पर सियासत, बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना