Chhattisgarh News: देश में इन दिनों चीते की खूब चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के जन्मदिवस पर 17 सितंबर को 75 साल बाद भारत में चीते दिखने वाले हैं. अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीतों को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क में लाया जा रहा है लेकिन बहुत कम लोगों को ही ये बात पता होगी की देश के आखिरी चीते (Cheetah) का जिनके द्वारा शिकार किया गया था जिसके बाद आजतक भारत में चीते दिखाई नहीं दिए और चीते की रफ्तार केवल टीवी में ही दिखी लेकिन वे जंगलों में पूरी तरह से विलुप्त हो गए वे कौन थे. आखिर किसने देश के आखरी चीते को मारा.


देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार
दरअसल ये कहानी छत्तीसगढ़ से जुड़ी है. कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने देश के आखिरी तीन चीतों का शिकार किया था. उन्होंने कोरिया के बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था. इसके बाद देश में कहीं चीते दिखाई नहीं दिए है. कोरिया छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र में है. आजादी के पहले सेंट्रल प्रविंस एंड बरार में कोरिया रियासत अहम इलाका था और इसकी राजधानी बैकुंठपुर थी. इस रियासत के राजा शिवमंगल सिंहदेव थे लेकिन 1909 में शिवमंगल सिंहदेव के निधन के बाद उनके बेटे रामानुज प्रताप सिंहदेव कोरिया रियासत के राजा बने. रामानुज शिकार करने ने माहिर थे. बैकुंठपुर घने जंगलों से घिरा हुआ था यहां वन्य प्राणियों की भरमार थी.


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इसलिए राजा ने मार गिराया चीता 
बताया जाता है कि 1948 में इस इलाके में खूंखार जंगली जानवरों की भरमार थी. इससे ग्रामीण बहुत भयभीत रहते थे इसलिए राजा से जानवरों से बचाव करने के लिए गुहार लगाते थे. ऐसी ही गुहार बैकुंठपुर के सलखा गांव के लोगों ने राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव से लगाई. इसके बाद वे बंदूक लेकर जंगल पहुंच गए. उन्होंने तीन नर चीतों को ढेर किया और इसके बाद उन्होंने महाराजा परंपरा के अनुसार तीनों चीतों के शव के साथ फोटो खिंचवाई. यही तस्वीर उनके लिए मुसीबत बनी और देश को राजा के करतूत की जानकारी मिली. बताया जाता है कि आज भी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी में राजा के द्वारा भेजी गई तस्वीर है. 


राजा महाराजा क्यों करते थे चीते का शिकार
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट संदीप पौराणिक बताते हैं कि, देश के आखिरी चीते के शिकार के बाद देशभर के किसी जंगल में एशियाई चीते नहीं दिखे. इसके बाद सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से चीते खत्म होने की जानकारी भी दी गई थी. अब फिर से चीतों को बसाया जा रहा है तो बड़ी खुशी की बात है. उन्होंने आगे बताया कि उस समय राजा-महाराजाओं को शिकार करने का बड़ा शौक था. इसके अलावा चीते खत्म होने के पीछे वे भी कारण हैं. चीते जंगल में छोटे जानवर होते हैं और आपसी भिडंत के कारण भी चीतों की मौत हो जाती थी.


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