छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक ऊंचाई पर बने 115 साल पुराना भनवारटंक टनल जर्जर होने लगी है. ये जानकारी मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है. इसके बाद ट्रेन यात्री भी इससे भयभीत हो रहे हैं. आखिर इस टनल की क्या सच्चाई है. क्या इस टनल में गुजरना जान जोखिम में डालने जैसा है. चलिए जानते हैं क्या है इसकी सच्चाई.
सौ साल पुराने भनवारटंक टनल में दरार?
दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजधानी रायपुर से कटनी जाने वाले मार्ग से गुजरने वाली ट्रेनें रोजाना जोखिम भरा सफर तय कर रही हैं. बिलासपुर से पेंड्रा के बीच ऊंची पहाड़ियों से घिरे जंगल के बीच बने 331 मीटर लंबा टनल की ईंट घुल रही है. बताया जा रहा है कि पहाड़ों से पानी रिस रिस कर आता है. इससे टनल की ईंट घुल रही है और प्लास्टर उखड़ रहे रहे हैं. इसलिए माना जा रहा है कि सुरंग की दीवार कमजोर हो रही है.
रेलवे ने कहा-हम सेफ्टी से समझौता नहीं करते
टनल के मजबूती पर उठे सवाल के बाद एबीपी न्यूज ने रेलवे प्रबंधन से बातचीत की है. रेलवे ने इसे एक लाइन में खारिज कर दिया है. बिलासपुर रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि टनल में खरोच आती रहती है. रेलवे कभी सेफ्टी से समझौता नहीं करती है. रेलवे रिस्क नहीं लेता है. मीडिया को तरफ से काल्पनिक कहानी गढ़ी जा रही है. वहां हमारे 2 टनल है. एक और के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. इसका मतलब ये नहीं कि पुराना टनल जर्जर हो गया है. मियाद की बात करें तो स्टेशन की बिल्डिंग पुरानी है लेकिन कोई खतरा तो नहीं है. इस मामले में हमारे इंजीनियर्स ज्यादा बेहतर बता पाएंगे.
एमपी यूपी बिहार के लिए टनल से गुजरना पड़ता है
इस सुरंग से गुजर कर ही ट्रेन मध्यप्रदेश,बिहार और उत्तरप्रदेश की ओर जाती है. लेकिन इस सुरंग की उम्र और संकेत खतरें के नजर देखा जा रहा है. क्योंकि सुरंग की मियाद ज्यादा से ज्यादा 100 साल होगी. लेकिन इसे 115 साल हो गए हैं. इस लिहाजा सुरंग से गुजरने पर खतरा महसूस कर रहे है. फिलहाल ट्रेन इसी टनल से गुजर रहे हैं लेकिन सावधानी बरतते हुए ट्रेन की स्पीड कम कर दी जा रही है.
हाईटेक एलएचबी कोच टनल को दीवारों से टकरा रही
115 साल पहले यानी 1907 में बने इस टनल की बनवाट की बात करें तो डिजाइन गोल है जैसे बड़े पाइप की तरह. ये आकर 115 साल पहले चल रही ट्रेन के अनुसार ही है. जिसमे आज के आधुनिक और हाईटेक एलएचबी कोच इस टनल में गुजरने से दीवारों से रगड़ने लगते है. वहीं टनल के भीतर ट्रेन कोच के टकराने के निशान भी देखे गए है.वहीं सुरंग के ठीक आधे किलोमीटर आगे एक गहरी खाई है.
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