Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) प्रबंधक और एमबीबीएस के छात्रों के विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इंटर्नशिप कर रहे एमबीबीएस के छात्रों ने रिम्स प्रबंधन पर इंटर्नशिप सर्टिफिकेट नहीं देने का आरोप लगाया है. साथ ही 10 वीं 12 वीं के मार्कशीट भी जब्त रखने का आरोप लगाया है. इस मामले पर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई है. डॉक्टरों ने अब इस मामले को मानव अधिकार आयोग में ले गए है और रिम्स प्रबंधन पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा दिया है.


मानव अधिकार आयोग में छात्रों की शिकायत
दरअसल, एक साल पहले 139 छात्रों का बैच रिम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद इंटर्नशिप कर रहा था और 2022 मई में इनका इंटर्नशिप पूरा हो गया लेकिन 6 छात्रों को छोड़कर सभी छात्रों को इंटर्नशिप सर्टिफिकेट मिल गया. इसके बाद इन छात्रों में डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी में आवेदन भी कर दिया है. पर इन 6 छात्रों को अब तक इंटर्नशिप सर्टिफिकेट नहीं मिला है. इस लिए छात्र मेडिकल काउंसिल से रिम्स प्रबंधन के खिलाफ शिकायत कर चुके है. कौंसिल ने 48 घंटे के भीतर सर्टिफिकेट जारी करने को कहा था. पर आज 20 दिन बीत जाने के बाद भी इंटर्नशिप सर्टिफिकेट भी छात्रों को इंतजार करना पड़ रहा है.


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बिना सर्टिफिकेट के पढ़ाई व्यर्थ चला जाएगा
डॉक्टर आयुष स्वर्णकार ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि इतने साल पढ़ने के बाद हमें अभी तक डिग्री नहीं मिला है, बिना सर्टिफिकेट के पढ़ाई व्यर्थ चला जाएगा.क्योंकि इंटर्नशिप पूरा होने का सर्टिफिकेट नहीं मिला है. इसके साथ 10 वीं और 12 वीं का मार्कशीट भी नहीं दिया गया है. इस मेडिकल काउंसिल से शिकायत के बाद भी अब तक कोई निर्णय सामने नहीं आया इसलिए मानव अधिकार में इसकी शिकायत की गई है. अभी तक सर्टिफिकेट नहीं मिला ही इस लिए बेरोजगार पड़े है.आयुष ने आगे बताया की रिम्स में स्टाइपेंड नहीं मिलता था. 9 महीने का स्टाइपेंड अभी तक नहीं मिला है. रिम्स के खिलाफ इस मामले में हाईकोर्ट भी गए थे.कोर्ट ने रिम्स को निर्देश दिए था. लेकिन रिम्स प्रबंधन नहीं माना . इसके बाद मेडिकल काउंसिल गए वहां भी बात नहीं बनी. इस लिए अब मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर दी है.जबतक सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा तब हम घर नहीं जा पाएंगे. हाई कोर्ट में शिकायत करने के चलते प्रबंधन हमारे साथ भेदभाव कर रहा है. 


डीन बोले इन छात्रों की भाषा चुभती है
रिम्स के डीन डॉ गंभीर सिंह ने छात्रों के आरोपों पर एबीपी न्यूज़ से बातचीत की है. उन्होंने बताया कि किसी भी संस्था का नियम होता है की जो भी कमी पाई जाती थी उसे पूरा करने को कहा जाता है. ये जो बच्चे जिनका उपस्थिति उपस्थिति सही नहीं है. उनको समझने का प्रयास किया गया. इंटर्नशिप के इंचार्ज होते है ये छात्रों की उपस्थिति देखते है. छात्रों को आज भी कहता हूं जो कमी है उसे पूरा कर लीजिए आज ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा. आगे उन्होंने स्टाइपेंड को लेकर बोले कि इसमें कुछ समस्याएं आई थी लेकिन अकाउंट नंबर और आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज के चलते समस्याएं आई लेकिन बाद में ठीक कर दिया गया छात्रों के स्टाइपेंड मिल गया. उन्होंने बताया कि छात्र ने डीन के खिलाफ कई जगह शिकायत की है. एक बार डीन को शिकायत पत्र दिखाया जाना था लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ ये बहुत तकलीफ देय होता है. इन बच्चों की भाषा चुभने वाले है. इनको अनुशासन नहीं सीख पाया. कल उनको बुलाया गया है बातचित मामला सुलझाने के कोशिश करेंगे.


डॉक्टर आयुष स्वर्णकार ने कही ये बात


डॉक्टर आयुष स्वर्णकार ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि इतने साल पढ़ने के बाद हमे अभी तक डिग्री नहीं मिला है, बिना सर्टिफिकेट के पढ़ाई व्यर्थ चला जाएगा.क्योंकि इनर्नशिप पूरा होने का सर्टिफिकेट नहीं मिला है. इसके साथ 10 वीं और 12 वीं का मार्कशीट भी नहीं दिया गया है. इस मेडिकल काउंसिल से शिकायत के बाद भी अबतक कोई निर्णय सामने नहीं आया इस लिए मानव अधिकार में इसकी शिकायत की गई है.अभी तक सर्टिफिकेट नहीं मिला है इस लिए बेरोजगार बैठे है.आयुष ने आगे बताया की रिम्स में स्टाइपेंड नहीं मिलता था. 9 महीने का स्टाइपेंड अभी तक नहीं मिला है. इस लिए छात्र हाईकोर्ट में अपील किया गया है. लेकिन अबतक इस मामले में हाईकोर्ट में कोई सुनवाई नहीं हुई है. वहीं इसके बाद हम मेडिकल काउंसिल गए वहां भी बात नहीं बनी. इस लिए अब मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर दी गई है.जबतक सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा तब हम घर नहीं जा पाएंगे. 


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