Raipur News: शहर में इस जगह मिलता है छत्तीसगढ़ का ट्रेडिशनल खाना, जरूरतमंद महिलाओं को मिल रहा रोजगार
Raipur News: रायपुर के गढ़ कलेवा की साल 2016 में स्थापना हुई थी. ये जगह शहर में होने के बावजूद गांव में होना महसूस कराता है. यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.
Raipur News: देशभर के हर शहर में आपको खाने के लिए अलग अलग व्यंजन मिल जायेंगे. यही परंपरागत व्यंजन आपके शहर की राज्य की पहचान बन जाते हैं. चलिए आज छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान गढ़ कलेवा को जानते हैं. फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन के बाद भी राज्य की परंपरागत खान पान आज भी युवाओं की पहली पसंद है. यही वजह है कि प्रदेश के सभी जिलों में संस्कृति विभाग की तरफ से गढ़ कलेवा खोला जा रहा है. आज हम रायपुर के गढ़ कलेवा की बात कर रहे हैं, जिसकी स्थापना आज से 5 साल पहले 2016 में हुई है. ये राजधानी रायपुर के मुख्य चौराहे घड़ी चौक के पास महंत घासीराम स्मारक संग्रहालय परिसर में बनाया गया है. ये जगह आपको शहर में होने के बावजूद गांव में होना महसूस कराता है और यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.
इसका संचालन स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करती हैं. वर्तमान में यहां 40-50 महिलाएं काम करती हैं. गढ़ कलेवा की प्रमुख मंजू शर्मा ने बताया कि रोजाना सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक खुलता है. यहां साउथ इंडियन डोसा की तरह चिला बनाया जाता है. इसकी सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. इसे बनाने के लिए धान की फसल कटने के बाद नए चावल आटा से चिला बनाया जाता है. ये छत्तीसगढ़ी व्यंजनों में सबसे लोकप्रिय है. ग्रामीण घरों में सुबह के नाश्ते में चिला परोसा जाता है. फरा भी बनाया जाता है, जिसमें रात का बचा चावल इस्तेमाल किया जाता है.
छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का गढ़ है गढ़ कलेवा
रायपुर के गढ़ कलेवा की अलग पहचान है. शहर के पक्के इमारतों को जगह इसी ग्रामीण इलाकों की तरह खपरैल से बनाया गया है. बैठक व्यवस्था में काफी दिलचस्प है. सारे कुर्सी टेबल लकड़ी के हैं. बड़े बड़े पेड़ों से कलेवा में हरियाली ही हरियाली है. वहीं, बड़े पेड़ों पर मचान बनाया गया है. कुछ युवा पेड़ पर चढ़कर व्यंजनों का आनंद लेते हैं.
प्रमुख मंजू शर्मा ने दी ये जानकारी
मंजू शर्मा ने आगे बताया की यहां कोई भी ज़रूरतमंद महिला काम कर सकती है. हम सभी मिलकर सभी छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाते हैं. इससे मिलने वाले लाभ को भी बराबर बांट लेते हैं. वहीं यहां प्रमुख रूप से चावल से बनने वाले व्यंजन बनाए जाते हैं. मिठाई भी चावल और गुड़ से बनाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि देहरौरी, पपची, खुर्मी, पीडिया बनाए जाते हैं. सूखे आइटम भी पहले से बनाकर तैयार रखते हैं. इनमें अदौरी बरी, रखिया बरी, कोंहड़ा बरी, मुरई बरी,साबूदाना पापड़ और बिजौरी बरी बनाया जाता है. इन व्यंजनों में पीडिया की अलग प्राथमिकता है. राजिम लोचन मंदिर में भगवान को इसी मिठाई का भोग लगाया जाता है.
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