(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रायपुर: इस कैफे का कोई स्टाफ बोल या सुन नहीं सकता, इशारों से लेते हैं ऑर्डर, गजब का है पूरा सिस्टम
Raipur News: रायपुर में एक 'नुक्कड़ कैफे' बनाया है. जो काफी आकर्षण है. इसको लेकर देशभर में काफी चर्चाएं हो रही है. रोज यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में समाज को नई दिशा देना वाला नुक्कड़ कैफे छत्तीसगढ़ में सबसे लोकप्रिय है. यहां यूथ के साथ सीनियर सिटीजन का ठिकाना है. रोजाना बड़ी संख्या में लोग यहां किताबें पढ़ने व रंगभूमि में कलाकार अपनी प्रस्तुति देने आते हैं. यही नहीं ये खास इस लिए है क्योंकि यहां काम करने वाले सभी कर्मचारी समाज के नजरों से किनारे हुए लोग हैं. इनमें से कई स्टाफ बोल-सुन नहीं सकते हैं लेकिन नुक्कड़ में बिना कोई समस्या के काम कर लेते है.
हर लोगों को नहीं मिलता रोजगार
दरअसल इस नुक्कड़ में सिर्फ उन लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाता है. जो अपनी कमियों के कारण मुख्यधारा में जुड़ नहीं पाते हैं. दीनदयाल साहू सुन और बोल नहीं सकते लेकिन ग्राहकों की जरूरतों को आसानी से समझ कर पूरा कर देते हैं. इनके साथ छोटे कद के मनीष कुमार खूंटे हैं जो पिछले 3 साल से काम करते-करते साइन लैंग्वेज की भाषा आसानी से समझ लेते हैं और ग्राहकों के ऑर्डर लेते हैं. इसी तरह दो किन्नर समुदाय के स्टाफ हैं जो अब यहां काम करके बेहतर महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा जिन ग्राहकों को साइन लैंग्वेज समझ नहीं आता है तो टेबल पर रखी पेन से अपना ऑर्डर लिखकर दे सकते हैं और अगर किसी स्टाफ को बुलाना होगा तो मोबाइल का फ्लैश लाइट भी जला सकते हैं.
आकर्षित करने के लिए बनाई गई है अलग-अलग चीजें
इंजीनियर प्रियंक पटेल ने दिल्ली की नौकरी छोड़कर 2013 में पहले नुक्कड़ की स्थापना की. कॉन्सेप्ट लोगों को रास आने लगी व धीरे-धीरे नुक्कड़ का विस्तार भी होने लगा. अब नुक्कड के 4 मालिक हो गए हैं. प्रियंक पटेल नुक्कड़ को अनोखा बनाने के लिए कैफे को छोटी-छोटी बारीकियों के साथ तैयार किया गया है. नुक्कड़ में जाते ही महान विचारकों की कविता देखने को मिलेगी. दीवारों पर नजर डालेंगे तो पूरे शहर को पेंटिंग देख आसानी से अनुभव किया जा सकता है. वहीं ये नुक्कड़ केवल चाय-नाश्ता के लिए लोकप्रिय नहीं है. यहां एकांत में पुस्तकालय भी बनाया गया है. जहां किताब पढ़ने के शौकीन किताब पढ़ सकते हैं. अगर किताब आदान-प्रदान करना चाहें तो इसके लिए भी ज्ञानदाता अभियान चलाया जा रहा है.
नुक्कड़ बस यहीं खत्म नहीं होता, इस छोटी सी जगह में आदिवासी संस्कृति को लोगों से जोड़ने के लिए खादी कपड़ों में गोदना आर्ट डिजाइन किया जाता है. वहीं नुक्कड़ के प्रथम फ्लोर में खाना बनाने के लिए रसोई है. बैठक व्यवस्था भी छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप किया गया है. इसके अलावा यहां रंगभूमि भी तैयार किया गया है. जहां लोक कलाकारों को मंच दिया गया है. अक्सर यहां लोक कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं. एक कंप्यूटर लैब भी है जहां कोई भी कंप्यूटर से जुड़े काम यहां आकर कर सकता है. वहीं आपको बता दें कि रायपुर के नुक्कड़ में अब तक 200 से अधिक लोगों को रोजगार मिल चुका है.
नुक्कड़ के संस्थापक की पहल पर देशभर में चर्चा हो रही है
प्रियंक पटेल को हाल ही में दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया हुआ है. 3 दिसंबर के विश्व दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नुक्कड़ कैफे को दिव्यांगजन और ट्रांसजेंडर को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सम्मानित किया है.
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