Raipur Sky Walk: BJP सरकार में बने स्काई वॉक में कांग्रेस ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, पूर्व मंत्री ने कहा- 'दम है तो जांच करा लें'
Raipur Sky Walk: आरपी सिंह ने तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत पर आरोप लगाया और कहा है कि बिना किसी आवश्यकता के रायपुर शहर में एक स्काई वॉक बनाने का प्रोजेक्ट अपने रसूख का प्रयोग करके पास करवा दिया.
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Raipur Sky Walk: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में आधे-अधूरे स्काई वॉक (Sky Walk) पर सियासत गरमा गई है. कांग्रेस (Congress) ने बीजेपी (BJP) शासन में करोड़ों रुपये के लागत में रायपुर शहर के बीच चौराहे में बनाए गए स्काई वॉक के उपयोग पर सवाल उठाया है. साथ ही कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह (RP Singh) ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को जांच के लिए एक ज्ञापन सौंपा है. वहीं तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत (Rajesh Munat) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के रिटायर न्यायाधीश से जांच करा लेने का सुझाव दिया है.
दरअसल शनिवार को कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने सीएम बघेल से मुलाकात कर स्काई वॉक में भ्रष्टाचार और अनियमितता को लेकर 8 बिंदुओं पर जानकारी दी है. इसमें तत्कालीन बीजेपी सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत पर स्काई वॉक के नाम पर ठेकदार को लाभ दिलाने और प्रशासनिक प्रक्रिया को दरकिनार करने का आरोप है. आरपी सिंह ने तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत पर आरोप लगाया और कहा है कि बिना किसी आवश्यकता के रायपुर शहर में एक स्काई वॉक बनाने का प्रोजेक्ट अपने रसूख का प्रयोग करके पास करवा दिया, जिसका कोई औचित्य या आवश्यकता ही नहीं थी.
8 बिंदुओं में लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप
1. 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए राज्य शासन के आदेशानुसार पी.एफ.आई.सी. की स्वीकृति के बाद ही किसी भी विभाग द्वारा निर्मित किया जा सकता है. रायपुर में स्काई वॉक निर्माण से संबंधित प्रोजेक्ट को साल 2017 के माह मार्च में ( जानबूझकर ) रुपये 49.08 करोड़ का बनाकर लोक निर्माण विभाग द्वारा स्वीकृति जारी की गई. इस प्रोजेक्ट की लागत जानबूझकर 50 करोड़ रुपये से कम रखी गई, ताकि पीएफआईसी की स्वीकृति न लेनी पड़े.
2. जल्द ही दिसंबर 2017 में इस प्रोजेक्ट की तकनीकी कीमत को बढ़ाकर विभाग द्वारा 81. 69 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को दिया गया. पी.एफ.आई.सी. की कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव होते हैं और अन्य विभागों के सचिव इसके सदस्य होते हैं. इस कमेटी में अन्य बातों के अलावा इस बात का भी परीक्षण किया जाता है कि इतनी बड़ी धनराशि की अधोसंरचना परियोजना वास्तव में पर्याप्त जनोपयोगी की है भी या नहीं.
3. यह ध्यान देने देने वाली बात है कि संशोधित तकनीकी प्राक्कलन में एस्केलेशन क्लॉज का प्रावधान कर 5.83 करोड़ रुपये किया गया, जबकि यह प्रावधान मूल प्राक्कलन में ही रखा जाना चाहिए था. इसी प्रकार उपयोगिता स्थानांतरण में मूल प्रावधान केवल 90 लाख रुपये रखा गया, जबकि दिसंबर महीने तक इस पर 5.94 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए थे. इससे स्पष्ट होता है कि ऐसी सामान्य सी चीजें मूल प्राक्कलन में सिर्फ इसलिए नहीं रखी गई थीं, ताकि प्रस्ताव 50 करोड़ रुपये से कम का बने और विभाग को यह प्रस्ताव पी.एफ.आई.सी में न लाना पड़े.
4. आरपी सिंह ने आगे बताया कि लोक निर्माण विभाग ने 4 फरवरी 2017 को मूल टेंडर जारी किया. 20 फरवरी को निविदा प्राप्त कर ली, जबकि प्रकरण की तकनीकी और शासकीय प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 8 मार्च को जारी की गई. इससे स्पष्ट है विभागीय मंत्री के दबाव में अधिकारी बिना नियमों का पालन किए कार्य कर रहे थे.
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5. यह अत्यन्त गंभीर विषय है कि तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत ने 23 अप्रैल को अचानक स्काई वॉक के आर्किटेक्चुरल व्यू में सुधार करने के लिए 12 परिवर्तन के निर्देश दिए, जिनका कोई तकनीकी औचित्य पूरे प्रस्ताव में कहीं नजर नहीं आता है. अकेले सिविल कार्य ही 15.69 करोड़ रुपये से बढ़ा दिया गया.
6. प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ने के कारणों में अन्य कारणों के अलावा एसीपी वॉल क्लैडिंग को सम्मानित किया गया, जो गैर जरूरी था. 8 स्थानों पर दुकानों का निर्माण सम्मिलित किया गया, जो गैर जरूरी था. चेकर्ड टाइल्स के स्थान पर विट्रिफाइड टाइल्स का प्रावधान सम्मिलित किया गया, जो गैर जरूरी था. इससे यह लगता है कि तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत, संबंधित ठेकेदार को अधिक भुगतान कराना चाहते थे.
7. राजेश मूणत ने आपराधिक षडयंत्र करते हुए दिसंबर 2018 में प्रक्रिया का पालन न करते हुए बड़ी अधोसंरचना परियोजना, बिना पी.एफ.आई.सी के अनुमति के 77.01 करोड़ रुपएये की प्राशसकीय स्वीकृति जारी की. तत्कालीन वित्त सचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी इसमें गंभीर अनियमितता करते हुए और प्रक्रियाओं का पालन किए बिना इसकी वित्तीय सहमति/ अनुमति जारी की.
8. आरपी सिंह ने ये भी बताया है कि 5 दिसंबर 2018 को जब चुनाव आचार संहिता लागू थी और प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो चुके थे, तब विभागीय सचिव ने ताबड़तोड़ संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा. तत्कालीन वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी ताबड़तोड़ स्वीकृति प्रदान कर दी, जबकि चुनाव हो चुका था और आदर्श आचार संहिता के हिसाब से ऐसा करना अपवर्जित था. वित्त विभाग ने 11 दिसंबर 2018 को सुविधा की स्वीकृति जारी की.
राजेश मूणत ने राज्य सरकार को दी चुनौती
कांग्रेस के द्वारा लगाए भ्रष्टाचार के आरोप पर पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने राज्य सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि इस सरकार में दम है तो स्काई वॉक की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश से जांच करा लें या इस पर थोथी राजनीति न कर कोई निर्णय करें. उन्होंने कहा कि विकास की सोच, दृष्टिकोण और विचार क्या होता है, जो मुख्यमंत्री यह नहीं जानता, वह सिर्फ आरोप ही लगा सकता है, कार्य नहीं कर सकता है.
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