Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी पूरे प्रदेश में उन्नत किसान के नाम से जाने जाते हैं, राजाराम माँ दंतेश्वरी हर्बल फार्म के संस्थापक और संचालक है और पिछले 3 दशकों से खेती किसानी करते आ रहे हैं. उनके बेहतर किसानी के तरीके से और कृषि के क्षेत्र में किसानों को बेहतर प्रशिक्षण देने से उन्हें इस साल 2022 -23 में देश के सर्वश्रेष्ठ किसान के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सम्मानित किया है. बता दें की यह कार्यक्रम दिल्ली में जैविक खेती के बायो- एजी इंडिया सम्मिट अवार्ड समारोह -2023 शिखर सम्मेलन में आयोजित किया गया है।


क्यों दिया जा रहा है डॉ राजाराम को यह सम्मान ?
डॉ त्रिपाठी को यह प्रतिष्ठित सम्मान उनके द्वारा जैविक खेती के क्षेत्र में किए गए अच्छे कार्यों, विशेष रूप से काली मिर्च की नई प्रजाति (MDBP-16) के विकास एवं बहुचर्चित एटी-बीपी माडल (AT-BP Model) अर्थात ऑस्ट्रेलियन-टीक (AT) के पेड़ों पर काली मिर्च (BP)की लताएं चढ़ाकर एक एकड़ जमीन से 50 एकड़ तक का उत्पादन लेने के सफल प्रयोग हेतु दिया जा रहा है. उन्होंने सफेद मूसली की खेती के साथ काली मिर्ची और ऐसे कई वन औषधियों की खेती की है जिनकी खेती काफी सफल साबित हुई है.


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पिछले कई वर्षों से त्रिपाठी अपने इस प्रयोग को अन्य किसानों के साथ भी खुले दिल से साझा कर रहे हैं और अन्य किसानों की मदद भी कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की खेती करने वाले देशभर के प्रगतिशील किसान प्रतिदिन उनके फार्म पर इसे देखने, समझने, सीखने और अपने खेत पर भी इस खेती को करने हेतु आते हैं.


पांच बार किए जा चुके हैं सम्मानित
खास बात यह है कि किसान राजाराम त्रिपाठी पांच अलग-अलग कृषि मंत्रियों के हाथ से पांच बार देश के सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड लेने वाले छत्तीसगढ़ के ही नहीं पूरे देश के इकलौते किसान बन चुके है.


राजाराम त्रिपाठी ने अपना यह सम्मान छत्तीसगढ़ और प्रदेश को समर्पित करते हुए कहा कि बस्तर में जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए हालांकि इसकी चर्चा सरकार द्वारा जोर शोर से की जाती है, लेकिन जब बजट आबंटन का अवसर आता है तो सारा पैसा और अनुदान रसायनिक खेतों को दे दिया जाता है, और जैविक खेती के बजट पर ध्यान नहीं दिया जाता है, बस्तर के साथ साथ प्रदेश में कृषि क्षेत्र और किसानों की स्थिति चिंता का विषय है, ऐसे में किसानों को जैविक खेती के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि बस्तर का वातावरण वन औषधियों के लिए काफी अनुकूल है, वह पिछले कई सालों से अपने हर्बल फॉर्म में औषधियां लगा रहे हैं.