Happy Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर्व को लेकर बाजार में तरह-तरह की राखियां बेची जा रही हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी राखियां हैं जो लोगों के लिए खास बनी हुई हैं. दरअसल कम कीमत पर खूबसूरत दिखने वाली यह राखियां इसलिए खास हैं क्योंकि इन्हें समाज कल्याण विभाग महासमुंद (Mahasamund) की आशा मनु विकास केंद्र घरौंदा के दिव्यांग बना रहे हैं. महासमुंद के नयापारा स्थित घरौंदा केंद्र में लगभग 20 मानसिक दिव्यांगों के द्वारा आकर्षक राखियां बनाई जा रही हैं.


महासमुंद के नयापारा स्थित घरौंदा केंद्र में लगभग 20 मानसिक दिव्यांगों के द्वारा आकर्षक राखियां बनाई जा रही हैं. जो कम कीमत की होने के साथ लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं. 27 अगस्त से बाजार में इन राखियों स्टॉल लगाकर बेचा जा रहा है. अब तक यहां बच्चों के द्वारा 1500 से ज्यादा राखियां बनाई जा चुकी हैं. गौर करने वाली बात यह है इन राखियों की बाजार में काफी डिमांड भी देखी जा रही है. पांच रुपये से लेकर 100 रुपये तक की राखियां लोगों की पहली पसंद बनी हुई हैं.


ट्रेनिंग देकर बढ़ा रहे आत्मविश्वास
घरौंदा केंद्र मानसिक और शाररिक रूप से अशक्त बच्चों के लिए शेल्टर होम चला रहा है. इसमें करीब 20 दिव्यांग हैं. संस्थान इन दिव्यांगों को छोटी-छोटी ट्रेनिंग देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा रहा है. संस्था रक्षाबंधन के त्यौहार में सामाजिक रिश्तों में और अधिक प्रगाढ़ता लाने और दिव्यांगों में आत्मविश्वास जगाने के लिए अनूठा प्रयास कर रही है. इस बार इस संस्थान के दिव्यांग राखियां बना रहे हैं. संस्थान द्वारा सिखाई गई छोटी एक्टिविटी राखी बनाने में काम आ रही है जैसे रंगों को पहचानना, गठान बांधना, धागा पिरोना. वहीं पूजन सामग्री, चूड़ियां, बाती आदि भी इनके द्वारा बनाई जा रही है. 


घरौंदा योजना का उद्देश्य
घरौंदा की अधीक्षक उषा साहू का कहना है कि इस प्रयास से जो भी थोड़ी बहुत आमदनी होगी, उससे इन दिव्यांगों का हौसला बढ़ेगा और इनको भी लगेगा कि हम भी कुछ कर दिखा सकते हैं. घरौंदा योजना का उद्देश्य ऐसे निःशक्तजनों को जीवन भर के लिए संस्थागत आश्रय सुनिश्चित करना और देखरेख की मानक सेवाएं प्रदान करना है, जो आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और एकाधिक बहुनिःशक्तता से ग्रस्त हो. इस योजना का उद्देश्य इन व्यक्तियों के लिए सम्पूर्ण राज्य में स्वैच्छिक संस्था के माध्यम से अधोसरंचना की स्थापना में मदद करना है, ताकि देख-भाल की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.


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