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किसान परिवार में जन्मे रमेश बैस ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, दिलचस्प है राजनीतिक सफर, बीजेपी के साथ कांग्रेस के भी रहे चहेते

Chhattisgarh: साल 1978 में रमेश बैस सबसे पहले रायपुर नगर निगम के लिए चुने गए थे. इसके बाद 1980 में मध्य प्रदेश विधानसभा में गए. यहां जानें अब तक का उनका राजनीतिक सफर.

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के रायपुर संसदीय सीट से 7 बार सांसद रहे रमेश बैस ने राजनीति में लंबी छलांग लगाई है. त्रिपुरा और झारखंड के राज्यपाल के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी मिली है. महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक उठा पटक जारी रहती है और ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा में वहां के राज्यपाल रहते हैं. रमेश बैस को एक और बड़ी जिम्मेदारी मिली है. इससे उनका कद भी बढ़ गया है.

रायपुर के रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया

दरअसल महाराष्ट्र देश की आर्थिक राजधानी मानी जाती है. इसके अलावा भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां 48 लोकसभा सीटें हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों की संख्या की बात करें तो महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीट है. इस लिहाजा सबसे बड़ी राजनीतिक गतिविधियां इस राज्य में देखने को मिलती है. 

रायपुर के किसान परिवार में जन्मे रमेश बैस की लंबी छलांग

आपको बता दें कि 2 अगस्त 1948 में रमेश बैस का एक किसान परिवार में जन्म हुआ. पिता खोम लाल बैस रायपुर में बड़े किसान थे. रमेश बैस ने अपनी पढ़ाई मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बीएसई में पढ़ाई की है. इसके बाद उनकी शादी 1969 में हो गई. इनके एक बेटा और 2 बेटियां हैं. पारिवारिक जीवन के साथ रमेश की राजनीति गतिविधियां शुरू हो गई. 1978 में रमेश बैस सबसे पहले रायपुर नगर निगम के लिए चुने गए. इसके बाद 1980 में मध्यप्रदेश विधानसभा में गए. लेकिन 1985 के विधानसभा चुनाव में उनको कांग्रेस के सत्यनारायण शर्मा से हार का सामना करना पड़ा.

रमेश बैस को कांग्रेसी भी करते थे पसंद

लेकिन रमेश बैस पर बीजेपी ने भरोसा जताया और अगली बार लोकसभा चुनाव के लिए उनको टिकट मिला है. यही उनकी राजनीति का टर्निंग प्वाइंट था. क्योंकि इसके बाद रमेश बैस ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनका कारवां समय बीतने के साथ बड़ा होता गया. रमेश बैस के जीत के पीछे उनके साफ छवि और आम नागरिकों से आसानी मिलने जुलना उनकी समस्याओं को सुनना समझना और समाधान करना. इससे हर कोई अपने आप को उनसे जुड़ा हुआ महसूस करता है. इस लिए उनके राजनीतिक कैरियर को बूस्टर डोज मिला. बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी उनकी दरियादिली को पसंद करते थे.

7 बार रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड

रमेश बैस 1989 में रायपुर लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए. इसके बाद 1996 में 11 वीं लोकसभा के लिए फिर चुने गए. 1998 में तीसरी बार फिर लोकसभा सांसद बने और 1999 में फिर रायपुर से सांसद चुने गए. इसके बाद राज्य गठन के बाद लगातार तीन बार रमेश बैस रायपुर लोकसभा सीट से 2004, 2009 और फिर 2014 में भी लोकसभा चुनाव जीते.

इस रिकॉर्ड के चलते रमेश बैस को केंद्रीय मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी मिली. रमेश बैस ने केंद्रीय इस्पात,रसायन और उर्वरक, सूचना और प्रसारण, खान और पर्यावरण, वन राज्य मंत्री जैसे कई विभागों में कार्य कर चुके है. अटल बिहारी वाजपेई मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में भी उन्होंने काम किया है. 

2019 में पहली बार बनाए गए थे राज्यपाल

गौरतलब है कि 2019 के बाद रमेश बैस पार्टी ने लोकसभा का टिकट नहीं दिया. इसके बाद उन्होंने त्रिपुरा का राज्यपाल बना दिया गया. फिर उन्हे झारखंड के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी और अब उन्हें महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ रमेश बैस छत्तीसगढ़ के पहले नेता है जो देश के 3 राज्यों के राज्यपाल बनाए जा चुके है. 

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