Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तरवासियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. रेलवे ने राजधानी रायपुर से जगदलपुर को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए रावघाट रेल लाइन के लिए नया डीपीआर तैयार कर लिया है. रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक इस रूट को तैयार करने में 3 हजार 282.14 करोड़ की लागत आएगी. रावघाट से जगदलपुर तक 124 किमी के इस ट्रैक को रेलवे बोर्ड बनाएगा. रेलवे बोर्ड ने रावघाट से जगदलपुर तक नई सिंगल रेलवे लाइन के लिए विद्युतीकरण को डीपीआर में शामिल कर लिया है. जांच के बाद जीएम/ एसईसीआर द्वारा अनुमोदित कर इसे रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है.


दरअसल लंबे समय से बस्तरवासियों की तरफ से इस रूट के लिए पिछले कई सालों से लगातार प्रयास किया जा रहा था और आंदोलन का दौर चल रहा था. अब इसका नया डीपीआर जारी होने के बाद बस्तरवासियों के मन में एक बार फिर से इस रूट के तैयार होने और राजधानी तक सीधे जुड़ने की उम्मीद बढ़ गई है. इधर इस बहुप्रतीक्षित रेल लाइन के निर्माण में आने वाली अड़चन के दूर होने के बाद तीन साल में बस्तरवासियों को इस रूट पर  रेल सुविधा मिल सकेगी.


10 साल में दो गुना बढ़ी राशि
ऐसा नहीं है कि इस रूट पर डीपीआर तैयार होने का यह पहला मामला है. इससे पहले भी इस रूट के लिए दो बार डीपीआर बनाए गए, लेकिन पिछले 10 साल में देखें तो इस बीच परियोजना की राशि दो गुना बढ़ गई. इसमें करीब 1600 करोड़ रुपये तक इसकी राशि बढ़ गई है, जब रेलवे ने इसे तैयार करने के लिए 2014-15 में अनुमान लगाया था तो इसकी अनुमानित लागत 1663.58 करोड़ रुपये थी.


उसके बाद बीआरपीएल ने 2017-18 में दोबारा इसकी अनुमानित लागत 2538.35 करोड़ रुपये आंकी थी. अब रेलवे बोर्ड ने 2023-24 के लिए इसका विस्तृत अनुमान 3 हजार 282.14 करोड़ रुपये लगाया है. वहीं रेलवे बोर्ड ने इस कार्य के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.


रावघाट-जगदलपुर प्रोजेक्ट रेलवे बोर्ड तैयार करेगा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीआरपीएल की लेट लतीफी को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने अब रावघाट जगदलपुर रेल लाइन परियोजना को अपने हाथ में लेने का फैसला लिया है. अब कभी भी इसकी घोषणा हो सकती है. गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड ने पहले ही इसके संकेत दे दिए थे अब इसकी औपचारिकता पूरी कर ली गई है. अब सिर्फ आधिकारिक घोषणा करना ही बाकि है.


मालूम हो कि 13 सितंबर 2022 को इस सबंध में बीआरपीएल को पत्र लिखा था, रेलवे ने चार दिन के अंदर ही सारे दस्तावेज सौंपने को कहा था. 19 सितंबर को सारे कागजात पेश कर दिए गए थे, इसके बाद से अटकलें चल रही थी, इसी बीच 2023 में पूरी तरह से रेलवे बोर्ड ने इसे अपने हाथ में ले लिया.


साल 1995 से चल रही है प्रक्रिया 
देश की आजादी के 75 साल बाद भी बस्तर के कई इलाकों तक रेल सुविधा नहीं पहुंच पाई है. साल 1995 में योजना आयोग ने दल्लीराजहरा से जगदलपुर तक रेल मार्ग को स्वीकृति दी थी, जिसे लेकर पहली बार 1996-97 में और दूसरी बार 2007 में अनुबंध भी हुआ, लेकिन आज तक यह काम शुरू नहीं हो पाया है. जगदलपुर से रावघाट तक 140 किलीमीटर की रेललाइन निर्माण के लिए 9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान जनसभा में एमओयू किया था. इसमें सेल एनएमडीसी, इरकान और सीएमडीसी शामिल है. इन चारों कंपनियों ने मिलकर बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई है. बीआरपीएल ने 2,538 करोड़ रुपये की इस परियोजना के निर्माण के लिए ईरकॉन से अलग से अनुबंध किया है.


बीआरपीएल की कंपनियों के बीच खटपट विशेषकर इरकॉन के अधिकारियों की भूमिका को लेकर लगातार परेशानी खड़ी होती रही है. इसके पहले बीआरपीएल में शेयर होल्डिग को लेकर सेल ने बखेड़ा खड़ा कर दिया था. कंपनी जब बनी थी उस समय सेल को 21 फीसद की हिस्सेदारी दी गई थी. इसके बाद ही सेल ने बीआरपीएल से अलग होने की मांग की थी. तत्कालीन इस्पात सचिव के हस्तक्षेप के बाद सेल की हिस्सेदारी 12 फीसद करने पर यह बीआरपीएल में बने रहने को राजी हुई थी, लेकिन लगातार खटपट को देखते हुए अब इस रेलवे लाइन का काम रेलवे बोर्ड के द्वारा किया जाएगा.


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