Republic Day 2022: इस बार राजपथ पर रंग बिखेरेगी छत्तीसगढ़ की झांकी, जानिये किस खासियत की वजह से हुआ है चयन
गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार आपको छत्तीसगढ़ में बन रही झांकी भी देखने को मिलेगी. जानें आखिर क्या है इस झांकी की खासियत, जिसकी वजह से इसका चयन गणतंत्र दिवस के खास मौके के लिए किया गया है.
Republic Day 2022: देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की तैयारी की जा रही है. राजपथ पर देशभर के अलग- अलग राज्यों की झांकी परेड में शामिल होंगी. इस वर्ष छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना पर बन रही झांकी का भी चयन हुआ है. इसके लिए छत्तीसगढ़ की टीम तैयारी कर रही है. दरअसल इस बार राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस के परेड समारोह के देशभर के 12 राज्यों की झांकी शामिल की है. इसमें छत्तीसगढ़ की झांकी का भी चयन हुआ है. राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना पर आधारित झांकी जिसमे गांव और गोठान अब देश के सबसे बड़े और मुख्य समारोह की शान बनेंगे. हाल ही में रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना पर बनी झांकी को अपनी हरी झंडी दे दी है.
झांकी के तीन भागों में तीन अलग-अलग खासियत का होगा प्रदर्शन
झांकी के अग्रभाग में गाय के गोबर को इकट्ठा करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया जाएगा.ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी, जो हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए होंगी.इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया जाएगा.महिलाओं के चारों ओर फूलों के गमलों की सजावट की जाएगी, जो गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक होंगे.नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की जाएगी.ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करेंगे.
मध्य भाग में दिखाया जाएगा कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा रहा है.सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.झांकी में प्रदेश में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को भित्ती-चित्र शैली में दिखाया जाएगा.इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुओं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी झांकी में प्रदर्शित किया जाएगा. झांकी के पीछे भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया जाएगा.इसमें दिखाया जाएगा कि नयी तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं किस तरह स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं, गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही हैं.
राज्य शासन में तरफ से बताया कि विशेषज्ञ समिति ने आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर बनायी गयी थीम इंडिया@75 न्यू आईडिया के तहत इसका चयन किया है और विशेषज्ञ समिति में देश के प्रमुख शिल्पज्ञ, पेंटर, फोटोग्राफर, संगीतज्ञ, गायक और अन्य विधाओं के विशेषज्ञ सदस्य थे.दो माह से नई दिल्ली में चल रही चयन प्रक्रिया के विभिन्न दौर से गुजरते हुए छत्तीसगढ़ ने यह सफलता हासिल की है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के साढ़े सात हज़ार से अधिक गौठानों में 2 रुपये किलो की दर से गोबर ख़रीदकर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उसका उपयोग विभिन्न उत्पादों को बनाने और स्वच्छता, क्लाइमेट चेंज और स्थानीय स्तर पर रोज़गार के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराने की इस योजना को देशभर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के एक विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है.गोधन न्याय योजना पर केंद्रित छत्तीसगढ़ की झांकी ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ अनेक वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिए विकल्प प्रस्तुत करेगी.
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