Bastar News: गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर निकाले जाने वाली झांकी में इस बार छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में विश्व प्रसिद्ध दशहरा के दौरान सैकड़ों सालों से निभाई जा रही मुरिया दरबार की परंपरा की झांकी मुख्य आकर्षण का केंद्र होगी. बस्तर की आदिम जाति संसद मुरिया दरबार पहली बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर निकाले जाने वाली  झांकी में प्रदर्शित की जा रही है. 


दरअसल यह मुरिया दरबार बस्तर में आदिवासियों का एक संसद है, जहां आदिवासी अपनी गांव के स्थानीय समस्याओं को बस्तर के महाराजा के पास रखते थे और बस्तर के महाराजा के द्वारा इस समय समस्या का समाधान किया जाता था. आज भी इस परंपरा को बखूबी निभाई जाती है. हालांकि अब इस मुरिया दरबार के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री होते है. साथ ही राज परिवार के सदस्य भी मौजूद रहते है. बस्तर की इस खास और महत्वपूर्ण  परंपरा को दिल्ली की झांकी में प्रदर्शित करने से बस्तर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी वासियों में भी काफी खुशी है. मुरिया दरबार की यह झांकी दिल्ली में निकाले जाने वाली झांकियों में मुख्य आकर्षण का केंद्र होगी.


बस्तर में 600 सालों से निभाई जा रही मुरिया दरबार रस्म की परंपरा


छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. बस्तर के आदिवासियों की अनोखी परंपरा, वेशभूषा, रीति-रिवाज, भारत देश के साथ ही विश्व भर में एक अलग पहचान देती है. कई ऐसी परंपरा है जो सालों से बस्तर में विधि विधान के साथ निभाई जा रही है. बस्तर में आदिवासियों का संसद उस समय से लग रहा है. जब भारत देश में लोकतंत्र नहीं था. सालों से बस्तर के आदिवासी अपनी समस्या को इस संसद में उठाते आये हैं. और आदिवासियों के इस सांसद को मुरिया दरबार कहा जाता है.  26 जनवरी 2024 को देश की राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर झांकी के माध्यम से मुरिया दरबार को प्रदर्शित किया जा रहा है. जो सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही है.


बस्तर कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि विश्व में सबसे अधिक दिनों तक चलने वाला पर्व बस्तर में मनाया जाता है. यह पर्व 75 दिनों तक चलता है. बस्तर दशहरा पर्व को 600 सालों  मनाया जा रहा है. जो कि विश्व भर में प्रसिद्ध है. इस पर्व में 12 से अधिक अनोखी रस्में निभाई जाती है. इन्हीं रस्मों में एक रस्म मुरिया दरबार रस्म भी है. इस रस्म को ही झांकी में प्रदर्शित किया जा रहा है जो पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई है और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के परेड ग्राउंड में मुरिया दरबार की झांकी को  प्रदर्शित किया जाएगा.


आदिवासियों की संसद के रूप में जाना जाता है मुरिया दरबार


बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि मुरिया दरबार बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्मो में से एक है. इस रस्म में रियासत काल में लोगों और उनके गांवो की जितने भी समस्याएं होती थी उनका बस्तर के महाराजा के द्वारा निराकरण और समाधान किया जाता था. वही बड़ी संख्या में इस दरबार मे पहुंचे लोगों की समस्याओ को सुना जाता था. खास बात यह थी कि इस दरबार में राजा अपनी वेशभूषा में नहीं पहुँचते थे. सादे कपड़े पहनकर वे लोगों के बीच बैठते थे. ताकि बिना झिझक के लोग अपनी बातों को उन तक रख सकें और राजा उनकी समस्याओं का निराकरण कर सके यही मुरिया दरबार का मुख्य उद्देश्य था.


हालांकि अब लोकतंत्र में मुरिया दरबार में प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ राज परिवार का सदस्य होने के नाते वे खुद भी मौजूद रहते है,  और उनके सामने दशहरा पर्व के सभी मांझी, चालाकी , मेम्बर, मेम्बरीन अपनी-अपनी समस्याओं को रखते हैं और मुख्यमंत्री उनका समाधान करते हैं. कमलचंद भंजदेव ने कहा कि 600 सालों से चली आ रही बस्तर की इस परंपरा को गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में झांकी में प्रदर्शित किया जाना यह बस्तर के आदिवासियों के लिए काफी गर्व का विषय है.


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