(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh Reservation: छत्तीसगढ़ में 76 प्रतिशत आरक्षण पर फिर बवाल, बीजेपी और कांग्रेस आपस में भिड़ी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को विधानसभा में कहा कि राज्यपाल के कहने पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और विधेयक पास करवाया गया.
Chhattisgarh Reservation News: छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र (Chhattisgarh Assembly Budget Session) के चौथे दिन आरक्षण विधेयक पर जमकर बहस हुई. शनिवार को सदन की कार्यवाही रात 8 बजे तक चली. इस बीच बीजेपी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर राज्यपाल (Governor) के अपमान का आरोप लगाते हुए विधानसभा का बायकॉट किया. वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) बीजेपी (BJP) पर राजभवन के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे. इसको लेकर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है.
बीजेपी पर राजभवन के दुरुपयोग का आरोप
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को विधानसभा में बोले कि राज्यपाल के कहने पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और विधेयक पास करवाया गया. लेकिन, विधानसभा में जब शेड्यूल लाइन में शामिल करने की बात आई, तो यह विपक्ष के लोग पलायन कर गए. इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि जैसा इन्होंने अभी किया है. यह इनका दोहरा चरित्र है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल हस्ताक्षर के लिए तैयार बैठी थीं, हमारे 5 सीनियर मंत्री रात में 9 मंत्रियों के साथ राजभवन गए. इस दौरान अधिकारी भी साथ थे, लेकिन पता नहीं, एकात्म परिसर से क्या चुटका आया? फिर बहानेबाजी शुरू हो गई. इसके बाद प्रवक्ता के रूप में बीजेपी के लोग बोलने लगे.
पहले भारत सरकार ने लांघा सुप्रीम कोर्ट का प्रावधान
छत्तीसगढ़ में हमने हेड काउंट करवाया और हेड काउंट में साढ़े 42 प्रतिशत पिछड़े वर्ग का आया. 3.48 ईडब्ल्यूएस का आया और हमने 4 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है. पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत की व्यवस्था पर अब यही बीजेपी वाले राजनीति करने लगे हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत सरकार ने खुद 50 प्रतिशत की सीमा को लांघते हुए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस के आरक्षण की व्यवस्था की है. कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट में विरोध में गए थे, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और उसको सही ठहराया गया. यह बीजेपी सरकार करें तो सब ठीक है.
बीजेपी ने सीएम पर लगाया राज्यपाल के अपमान का आरोप
मुख्यमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी के नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार सभी संसदीय परंपराओं को तोड़ रही है. हमारे संविधान में भी राज्यपाल की भूमिका के ऊपर में कहीं पर भी चर्चा नहीं हो सकती. विधानसभा अध्यक्ष को हटाना है, तो हम प्रस्ताव ला सकते हैं. हाई कोर्ट के जज को हटाना है, तो महाभियोग चलाया जा सकता है. हमारा अधिकार यहीं तक है. लेकिन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल के अभिभाषण के प्रस्ताव का जवाब देते हुए राज्यपाल की भूमिका पर चर्चा कर रहे हैं. यह राज्यपाल पद का अपमान है. यह देश के संविधान का उल्लंघन है.
पिछले साल से जारी है आरक्षण पर बवाल
गौरतलब है 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे. तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 प्रतिशत हो गया. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी. इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.