Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में रितेश्वर महराज ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया है. रितेश्वर महराज (Riteshwar Maharaj) ने कहा "चंद आटा की थैलियों पर धर्मांतरण हो रहा है. जब 2 बोरी आटा पहुंच जाएगा तो सब वापस आ जाएंगे. इसके अलावा रितेश्वर महाराज ने मैकाले की शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने के लिए सरकार से सनातन शिक्षा बोर्ड गठन करने की मांग की है और बागेश्वर धाम सरकार के समर्थन में सिद्धियों को माना है."


दरअसल वृंदावन के रितेश्वर महराज दो दिवसीय दौरे पर रायपुर (Raipur) पहुंचे है. उन्होंने सोमवार को रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और देश के कई चर्चित विषयों पर अपनी बात रक्खी है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैकाले की शिक्षा व्यवस्था को बदला जाना चाहिए. ये एक साजिश के तहत पढ़ाया जाता है. बाबर और औरजांगजेब को इतिहास बताया गया और राम कृष्ण को काल्पनिक कहा जाता है. इसलिए हमारी मांग की सनातन शिक्षा बोर्ड का गठन हो. सनातन शिक्षा को ही पढ़ाया जाए.


धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की के पास खुद आते हैं लोग


इसके बाद रितेश्वर महराज ने बागेश्वर धाम सरकार पर उठ रहे सवाल पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा चमत्कार है ज्ञान. मैं सिद्धि से इंकार नहीं करता. इनकार करने का मतलब रामायण महाभारत को नकारना पड़ेगा. सिद्धि का मतलब एक विशेष विद्या है. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री किसी को बुलाते नहीं हैं लोग खुद ही आ जाते हैं. भारत लोकतांत्रिक देश है. जनता किसके पास जाकर प्रवचन सुनेगी ये उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर करता है.


जाति व्यवस्था के कारण उत्पीड़न हुआ


इसके अलावा राम चरित मानस पर देश में मचे बवाल पर भी रितेश्वर महराज ने कड़ी अपत्ति जताई है. "उन्होंने कहा विवाद का कारण वोट बैंक है. इसकी निंदा होनी चाहिए. सनातन संस्कृति विराट है. किसी की भावना का अनादर नहीं होना चाहिए. भारत ने सती प्रथा समाप्त किया है. वहीं जाति व्यवस्था के कारण हुए उत्पीड़न को उन्होंने अपवाद बताया. उन्होंने कहा कि अपवाद कभी नियम नहीं हो सकते."


दाढ़ी बढ़ाने से कोई बाबा नहीं बन सकता


"उन्होंने कहा सनातन शिक्षा बोर्ड बनाया जाना चाहिए. मैकाले की शिक्षा व्यवस्था से हमारे बच्चों के दिमाग खराब कर दिए. ये दाड़ी बढ़ाने से कोई बाबा नहीं बनता है. उनके पास ज्ञान होना चाहिए. मनोरंजन और मनोमंथन होना चाहिए. रितेश्वर महाराज ने कहा कि मैकाले की शिक्षा पढ़नी मेरी मजबूरी थी. डॉक्टरेट की डिग्री का कोई महत्व नहीं है. मेरे गुरु के ज्ञान से मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आई है. मैं केमेस्ट्री का टॉपर हूं, लेकिन कोई काम नहीं आया है.


"उन्होंने ये भी कहा बच्चों को जीविका और जीवन की विद्या मिलेगी तो बच्चे सुशांत सिंह राजपूत नहीं बनेंगे. 70 से 80 साल की जिदंगी मिली है. इसमें सुसाइड करना कौन सी जिंदगी है. दुनिया के सबसे ज्यादा इनकम वाले देश अमेरिका जापान और स्वीडन में सबसे ज्यादा आत्महत्या और पागलपन है"


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