Ambikapur News. सरगुजा संभाग में धार्मिक आस्था के कई महत्वपूर्ण स्थान हैं. विडंबना है कि धार्मिक महत्व केस्थान विकास से कोसों दूर हैं. लोगों में जागरूकता आने के बाद अब विकसित करने की बातें उठने लगी हैं. बंदरकोट की गुफा तक पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों को तय करना पड़ता है. ग्रामीणों की मान्यता है कि बंदरकोट वानरराज सुग्रीव की गुफा है. रामायण में उल्लेख है कि सुग्रीव बाली के छोटे भाई थे. ग्रामीणों का मानना है कि रामायण काल में सुग्रीव ने नानदमाली के पास स्थित बंदरकोट गुफा में शरण ली थी.


जानकार मनोज सिंह की मानें तो मान्यताओ के आधार पर बंदरकोट गुफा सुग्रीव गुफा के नाम से प्रचलित है. सुग्रीफ गुफा राम वन गमन पथ के किनारे स्थित है. यही वजह है कि मन्याताओं की पुष्टि भी होती है. गुफा से कुछ दूर पर पंपापुर गांव और पंपापुर तालाब स्थित है. आगे बढ़ने पर मैनपाट की पहाड़ी में एक गांव सरभंजा भी स्थित है. लोगों का कहना है कि इन स्थानों का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है. सरंभजा गांव को रामायण काल में सारभंज ऋषि की तपोभूमि कहा जाता था.




बंदरकोट गुफा को विकसित करने की मांग


तीनों स्थानों से कुछ दूरी पर मतरिंगा की पहाड़ी है. मतरिंगा की पहाड़ी सरगुजा की जीवनदायनी रेड (रिहंद) का उद्गम है. नदी को रामकालीन और भगवान परशुराम की मां के रूप में जाना जाता है. लोगों की आस्था इस नदी से जुड़ी है. धार्मिक मान्यताओं और रामायण युग से जुड़े स्थान ख़ासकर बंदरकोट सुग्रीव गुफा में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है.


आस पास के गांव वाले जागरूक हो गये हैं. इसी क्रम में आज दर्जनों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय अम्बिकापुर पहुंचकर कलेक्टर से मुलाकात की. उन्होंने बंदरकोट गुफा के साथ रामायण युग से जुड़े सभी स्थानों में बुनियादी विकास की मांग का ज्ञापन सौंपा. 


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