Surguja News: सरगुजा जिले के गोठानों में मल्टी लेबल एक्टिविटी ने जोर पकड़ लिया है. अब तक जहां गौठानों में महिलाएं मुर्गी पालन से आय अर्जित कर रही थी. वहीं अब इन गौठानों में स्वादिष्ट आयस्टर मशरूम का भी उत्पादन होने लगा है. समूह की महिलाओं ने स्थानीय संसाधनों के जरिए गौठानों में आयस्टर मशरूम की खेती के लिए कमर कस ली है. क्योंकि जिले के अम्बिकापुर जनपद के सोहगा गांव में संचालित आदर्श गोठान महिलाओं के लिए आदर्श बन गया है. यहां कि महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा मशरूम की जो खेती की गई है. उसके पहले ही दिन 4.5 किलोग्राम आयस्टर मशरूम का उत्पादन हुआ है. जिसे समूह की महिलाओं ने 200 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर 900 रुपये की कमाई की है.
कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशन में हो रही पहल
गौरतलब है कि जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर संजीव कुमार झा के निर्देशन में जिले के गोठानों को आजीविका संसाधन केंद्र के रूप में विकसित करने की पहल की जा रही है. जिससे महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके. इसीलिए जिले के गोठानों में आयस्टर मशरुम उत्पादन की पहल शुरू की गई है. गोठानों में मशरूम हट बनाये गए हैं. इस हट में मशरूम उत्पादन के लिए बड़े साइज के पॉलिथीन बैग में स्पान डालकर लटकाए गए हैं. करीब 25 से 30 दिन में मशरूम उत्पादन शुरू हो गया है. जानकारी के मुताबिक मशरूम उत्पादन कार्य में महिलाओं को निपुण करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है. ये प्रशिक्षण एन.आर.एल.एम और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञनिकों द्वारा दिया गया है.
वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
वैज्ञानिकों ने बताया है कि आयस्टर मशरूम को ढिंगरी के नाम से भी जाना जाता है. इस मशरूम की खेती लगभग साल भर की जा सकती है. इसके लिये अनुकूल तापक्रम 20-30 डिग्री सेन्टीग्रेट तथा आपेक्षित आर्द्रता 70-90 प्रतिशत होती है. उपचारित भूसा एवं पैरा कुट्टी जब भीगकर 40 किलो वजन कम हो जाता है उसमें 3 प्रतिशत् की दर से मशरूम स्पॉन (बीज) को मिलाते है. मशरूम का उत्पादन एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. इसमें लागत बहुत कम लगती है. उत्पादन कक्ष भी कच्चे और कम लागत पर बनाए जा सकते हैं. एक किलो ढींगरी मशरूम पर 10-15 रुपए लागत आती है और बाजार में मांग के अनुसार 200-250 रुपये प्रति किलो ढींगरी मशरूम बेची जा सकती है.
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