Surguja News: नाग पंचमी (Naga Panchami) पर एक दिन लोग पूजा करते हैं, मगर सरगुजा (Surguja) जिले के स्नैक मैन सत्यम द्विवेदी बीते पांच वर्षों से हर दिन 24 घंटे घरों में घुसने वाले जहरीले और साधारण सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ लोगों की जान बचाने के काम में जुटे हुए हैं. स्नैक मैन सत्यम सरगुजा और अम्बिकापुर के जाने पहचाने चेहरे हैं. वो बीते पांच वर्षों से अपनी संस्था नेचर कंजर्वेशन सोसायटी के माध्यम से जहरीले सांप को पकड़ने के साथ-साथ उन्हें बचाने और लोगों के बीच उपजे भय को दूर कर सर्पों के संरक्षण के लिए भी उन्हें जागरूक करने का काम कर रहे हैं.
सत्यम द्विवेदी अब तक सात हजार से भी अधिक सर्पों को पकड़ उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ चुके हैं. इनमें से 15 सौ अत्याधिक विषैले सर्प शामिल हैं. स्नैक मैन सत्यम ने सांप पकड़ने की कला के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है. 2015 में तकिया रोड में अजगर सांप का रेस्क्यू करने पर उन्हें अच्छा लगा. उनके मन में पहले से ही पशु-पक्षी के प्रति प्रेम का भाव था. अजगर को पकड़ जंगल में छोड़ने की अनुभूति ने उन्हें प्रेरणा दी. 2017 में बिलासपुर में पीएससी की तैयारी के दौरान यूट्यूब और दूसरे माध्यम से सर्प रेस्क्यू पर अध्ययन शुरू किया.
चार वर्षों में सात हजार से अधिक सर्पों का रेस्क्यू
2019 में कोरोना के प्रकोप के दौरान जब वो अम्बिकापुर पहुंचे तो उन्हें फिर से सांप पकड़ने का मौका लगा. कोरोना काल में पकड़े गए इस सांप का रेस्क्यू कर उन्होंने इसका सोशल मीडिया में अपलोड किया तो उन्हें सराहना मिलने के साथ-साथ सर्प रेस्क्यू के लिए फोन भी आने शुरू हो गए. फिर यह सिलसिला चल पड़ा. अब तक चार वर्षों में सात हजार से अधिक सर्पों का रेस्क्यू कर चुके स्नैक मैन सत्यम अब लगभग हर दिन शहर और आसपास के इलाकों में सर्प रेस्क्यू के साथ-साथ महामाया पुर्नवास केन्द्र के माध्यम से बेजुबान पशुओं खासकर गौ प्रजाति की सुरक्षा के अभियान में जुटे हुए हैं, जिसमें उनके साथ शहर का हर वर्ग जुट गया है.
स्नैक रेस्क्यू और वेनम सेंटर है लक्ष्य
स्नैक मैन सत्यम का कहना है कि सर्पों की पूजा करना अच्छी बात है, लेकिन उससे भी ज्यादा खुशी उन्हें बचाने और संरक्षित करने की है, ताकि जैविविधता का यह महत्वपूर्ण हिस्सा सुरक्षित रहे. उन्होंने कहा उनकी योजना सरगुजा संभाग मुख्यालय में स्नैक रेस्क्यू और वेनम सेंटर स्थापित करने की है. जहां सर्पों के संरक्षण के साथ नई पीढ़ी को उनके महत्व और सहभागिता का भी एहसास करा सके.