Chhattisgarh Police: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Sarguja) में युवा आईपीएस (IPS) रोबिनसन गुड़िया ने आईआईटी (IIT) की पढ़ाई का उपयोग कर ई मालखाना मैनेजमेंट सिस्टम नाम का सॉफ्टवेयर तैयार किया है. लखनपुर थाना प्रभारी के पद पर पदस्थ आईपीएस रोबिनसन गुड़िया ने थाने में जब्त सभी सामान को यूनिक बारकोड नंबर दिया है. बारकोडिंग के सॉफ्टवेयर को लिंकअप कर सभी सामान को रखने का स्थान निर्धारित कर उसे सॉफ्टवेयर में अपलोड किया है.


युवा आईपीएस द्वारा किए इस नए प्रयोग की सरगुजा रेंज आईजी अजय यादव ने भी तारीफ की है. बता दें कि थाना में जब्त सभी सामानों की कोडिंग एक्सेल पर की गई है, क्योंकि थाने में पदस्थ दूसरे कर्मचारी भी एक्सेल पर ही काम करते हैं. अब बारकोड को स्कैन करने से जब्त सामान के संबंध में पूरी जानकारी तुरंत सामने आ जाती है.


आईआईटी कानपुर में की है पढ़ाई


दरअसल, लखनपुर थाना प्रभारी के रूप में पदस्थ युवा आईपीएस रोबिनसन गुड़िया ने आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की है. इससे उन्हें सॉफ्टवेयर और तकनीकी चीजों का ज्ञान है. इसी ज्ञान का उपयोग कर उन्होंने ई मालखना मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर डेवलप किया है. जिससे थानों में जब्त सामान को तत्काल ढूंढा जा सकेगा. उन्होंने लखनपुर थाने को छत्तीसगढ़ के पहले ई मालखाना के रूप में विकसित किया है. अब यहां अपराधिक प्रकरण से जुड़े हर सामान को एक झटके में खोजा जा सकता है. एक भी जब्त सामान इधर से उधर नहीं हो सकता है. वही  मालखाना से किन किन हाथों से होकर जब्त सामान गुजरा, इसकी जांच भी आसानी से हो सकेगी.


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झारखंड के रहने वाले हैं युवा आईपीएस रोबिनसन
युवा आईपीएस रोबिनसन गुड़िया झारखंड की राजधानी रायपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने भारतीय पौद्यिगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर से पढ़ाई की है. आईआईटी के बाद वे संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा पास करके भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चयनित हुए हैं. वर्तमान में वे प्रशिक्षण अवधि में हैं. आईआईटी में पढ़ाई के अनुभव के आधार पर स्मार्ट पुलिसिंग की दिशा में कदम बढ़ाया है.


ऐसे काम करता है सॉफ्टवेयर


बता दें कि, ई मालखाना मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से जब्त सामान को थाने में अपराध नंबर या फिर मालखाना नंबर से खोजा जा सकता है. इस सॉफ्टवेयर से मालखानें में सामान कहां है? जब्त सामान की जब्ती दिनांक से प्रकरण निराकरण होने तक किन स्थानों तक लाया, ले जाया गया. उसकी भी जानकारी सामने आ जाती है. इसे चेन ऑफ स्टडी के नाम से जाना जाता है. इस तकनीक में सबूतों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. कोर्ट में आरोपियों पर लगे अपराध को सिद्ध करने मजबूती से साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सकता है.


ये है सॉफ्टवेयर की विशेषता


युवा आईपीएस रोबिनसन गुड़िया ने बताया कि एक चेन ऑफ कस्टडी नाम का कॉन्सेप्ट होता है. जो एविडेंस होता है, वो किन-किन हाथों से होकर कहां-कहां जाकर, कोर्ट में पहुंचा. उसका एक लिस्ट मेंटेन करना, इसे चेन ऑफ कस्टडी कहा जाता है. सॉफ्टवेयर से ये मेंटेन किया जा सकता है कि सबूत किन-किन हाथों से गुजरा है. दूसरा कोई भी जब्त संपति, या केस प्रॉपर्टी, जैसे मोबाईल, सिम उसे अलग से तिजोरी बनाकर उसे तिजोरी में रखा जा रहा है.


तीसरा यह है कि जब कोर्ट से आदेश आ जाता है कि इसको डिस्पोज करना है, तो कभी कभी ऐसा होता है कि माल कहां गया, किसी ने देखा नहीं, आज की तारीख में क्या स्टेटस है. थाने में दो चीजें मुख्य है. एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया है, और दूसरा जो हमारा मालखाना है उसे अपग्रेड कर रहे हैं. इसके अलावा बाइक, मोटरसाइकिल जब्त होता है उसके लिए भी एक डेटाबेस तैयार कर रखा जाएगा. जिससे कल को कोई बाइक गुम होता है. इससे पता रहेगा कि इस इलाके में पुलिस ने क्या क्या जब्त किया है. कोई गुम रिपोर्ट दे रहा है तो उसे ट्रांसफर करके दे पाएंगे.


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