Bastar News: नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर के कई गांव आज भी विकास से काफी अछूते हैं और यहां के बच्चे स्कूली शिक्षा से अनजान हैं, लेकिन बीते कुछ साल से ऐसे ही इलाकों को चिन्हित कर यहां नक्सलियों को चुनौती देते हुए सुरक्षा के साये में प्रशासन काम कर रही है. इसका नतीजा है कि जिन इलाकों के बच्चे कभी स्कूल नहीं गए, वहां प्रशासन स्कूल भवन बनाने के साथ आसपास के बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रही है. बस्तर जिले के घोर नक्सल प्रभावित गांव कहे जाने वाले चांदामेटा में भी आजादी के 75 साल बाद स्कूल भवन बनाया गया है और बकायदा यहां के बच्चे और सरपंच ने कलेक्टर, एसपी की मौजूदगी में भवन का उद्घाटन किया.
हालांकि इससे पहले पुलिस कैंप में बच्चों की स्कूल लगती थी, लेकिन महज 2 महीनों में ही कड़ी सुरक्षा के बीच गांव में नया स्कूल भवन तैयार किया और अब यहां बकायदा बच्चों की स्कूली शिक्षा शुरू कर दी गई है. इस स्कूल के निर्माण के लिए सबसे बड़ा योगदान सुरक्षाबलों का है जो दिन रात सुरक्षा के साए में स्कूल भवन निर्माण के दौरान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सुरक्षा के साए में स्कूल भवन बनकर हुआ तैयार
दरअसल चांदामेटा गांव बस्तर और ओडिशा के बॉर्डर के आखिरी छोर पर स्थित है और यह इलाका नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. लेकिन कुछ साल पहले यहां सीआरपीएफ कैंप खुलने के बाद लगातार जवानों के द्वारा एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए जाने की वजह से काफी हद तक नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर हैं. इसके बाद इस गांव में आजादी के 75 साल बाद आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क और गांव तक बिजली पहुंचाने का काम शुरू किया गया. कलेक्टर के इस गांव में दौरे के बाद चांदामेटा में 2 महीने पहले स्कूल भवन बनाने की घोषणा की और अब यह स्कूल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है और खुद स्कूली बच्चों ने और गांव के सरपंच ने इस स्कूल भवन का उद्घाटन किया है.
ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में नक्सली दहशत की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र, बिजली, स्कूल भवन कुछ भी नहीं था, ग्रामीणों को डर के साए में जीना पड़ता था, लेकिन अब पुलिस कैंप खुलने के बाद उनके गांव तक आजादी के 75 साल बाद सड़क बनी है. बिजली पहुंची है और अब उनके बच्चों के लिए स्कूल भवन बनकर तैयार हुआ है. कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि इस स्कूल बनाने में सबसे बड़ा योगदान पुलिस के जवानों का रहा है, जिन्होंने पूरी तरह से निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई. इसके अलावा उन्होंने बताया कि गांव के आयता मरकाम ने स्कूल भवन के लिए अपनी जमीन दान की और जिसके बाद प्रशासन ने इस स्कूल को बनाया.
पहले गांव के बच्चे चांदामेटा पुलिस कैंप में पढ़ाई कर रहे थे,लेकिन अब खुद के स्कूल भवन में अपना भविष्य गढ़ सकेंगे ,उन्होंने ग्रामीणों को अपने बच्चों को हर रोज स्कूल भेजने का निवेदन किया है और जो बच्चे गलत रास्ते में चले गए हैं उन्हें भी समाज के मुख्यधारा में जुड़ने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करने का निवेदन किया है, पहली बार गांव में स्कूल भवन में पढ़ाई शुरू होने से बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार वालों में भी काफी खुशी है.
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