Navaratri 2022: छत्तीसगढ़ के इस पहाड़ में हुआ था महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध, मौजूद हैं मां देवी के पदचिन्ह
Happy Navratri 2022: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले से करीब 50 KM की दूरी पर बड़े डोंगर के ऊंची पहाड़ियों में मां दंतेश्वरी विराजमान हैं. देश-विदेश के श्रद्धालु इस मंदिर में श्रद्धा के ज्योत जलाते हैं.
Shardiya Navratri 2022 Puja: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) को देवी धाम कहा जाता है, यहां पर मां दुर्गा के अनेकों रूप के मंदिर स्थापित हैं, जो सैकड़ों साल पुराने हैं. इन देवी मंदिरों में मां दंतेश्वरी को बस्तर की आराध्य देवी कहा जाता है. दंतेवाड़ा शक्तिपीठ में दंतेश्वरी मंदिर के साथ-साथ जगदलपुर (Jagdalpur) शहर में और कोंडागांव (Kondagaon) के बड़े डोंगर में भी सैकड़ों साल पुराना मंदिर स्थापित है. बड़े डोंगर के ऊंचे पहाड़ियों पर बने दंतेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के मौके पर मेला भरता है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां दंतेश्वरी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
साथ ही भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका और अन्य विदेशों के श्रद्धालु भी इस मंदिर में श्रद्धा के ज्योत जलाते हैं. इस साल करीब 5 हजार ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं. इस मंदिर में खास बात यह है कि यहां मां दुर्गा के चरण और शेर के पंजों के निशान हैं.
अभी हैं देवी के पदचिन्ह और शेर के पंजों के निशान
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर बड़े डोंगर के ऊंची पहाड़ियों में मां दंतेश्वरी विराजमान हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश प्रधान बताते हैं कि सदियों पहले पृथ्वी पर महिषासुर का आतंक था. महिषासुर मायावी होने के चलते छल कपट और प्रपंच से आतंक मचा रहा था. महिषासुर के आतंक का अंत करने के लिए मां दुर्गा प्रकट हुई और मां दुर्गा और महिषासुर के बीच इसी पहाड़ी पर अनवरत कई दिनों तक युद्ध चला. अंत में महिषासुर प्राण बचाने भागा, मां दुर्गा पहाड़ी के ऊपर स्थित पत्थर में खड़े होकर महिषासुर को चारों और निहारने लगी. जहां एक विशाल पत्थर के ऊपर मां दुर्गा के पैर और शेर के पंजे के निशान आज भी मौजूद हैं.
माता के पदचिन्ह आस्था स्वरूप पूजे जाते हैं. मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध होने के चलते पहाड़ी को स्थानीय हल्बी बोली में भैंसा दौन्द या द्वंद कहते हैं. बड़े डोंगर का पहाड़ महिषासुर और मां दुर्गा का युद्ध स्थल है. कालांतर में यहां के राजाओं द्वारा रियासत काल में मां दंतेश्वरी का मंदिर बनाया गया. बताया जाता है कि यहां पहाड़ी में अंधेरी सुरंग है जिसे रानी दर गुफा कहते हैं.
पत्थर से निकलती है ध्वनि तरंगे
स्थानीय लोगों ने बताया कि बड़े डोंगर की भैंसा दौन्द पहाड़ी यूं तो कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. उनमें से एक है ध्वनि तरंगों वाली पत्थर, जिसे स्थानीय ग्रामीण हल्बी बोली में कौड़ी ढुंसी कहते हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश प्रधान ने बताया कि सदियों पहले जब पैसे की जगह कौड़ी का प्रचलन था, उस दौरान कौड़ियों को संग्रहित कर रखने के खजाना को ढुंसी कहते थे. जो पहाड़ में स्थित अन्य पत्थरों से एकदम अलग है, उस पत्थर को दूसरे पत्थर से टकराने पर ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है. ध्वनि तरंगों वाला अजूबा पत्थर अपने आप में रहस्य है. हर साल शारदीय नवरात्रि पर इस मंदिर में दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ होती है.
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