Bastar News: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के आंदोलन का साइड इफेक्ट, बस्तर में 400 गरीब बेटियों की शादियों पर लगा ब्रेक
Chhattisgarh: बस्तर जिले में मुख्यमंत्री निर्धन कन्या विवाह योजना के तहत कई निर्धन बेटियों की शादी आंगनबाड़ी के कार्यकर्ता और सहायिकाओ के अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाने के बाद अटक गई है.
Chhattisgarh News: देश मे शादियों का सीजन चल रहा है और कई जोड़े परिणय सूत्र में बंध रहे हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बाकि जिलों की तरह ही बस्तर (Bastar) जिले में भी मुख्यमंत्री निर्धन कन्या विवाह योजना के तहत कई निर्धन बेटियों की शादी कराने के लिए आवेदन लिए गए हैं. इस सामूहिक कन्या विवाह को संपन्न कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आंगनबाड़ी के कार्यकर्ता और सहायिकाओ पर होती है. लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले गए हैं. इसके बाद बस्तर जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना पर ब्रेक लग गया है.
जिले की लगभग 400 बेटियों की सामूहिक विवाह अटक गया है. अब यह शादी कब होगी इसको लेकर विभाग के अधिकारी भी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं. बताया जा रहा है कि फरवरी के अंत तक लक्ष्य के मुताबिक 400 बेटियों की शादी होनी थी, लेकिन अब तक ऐसी कोई तैयारी नहीं दिख रही है. जिसके चलते इन कन्यायों को और लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. इस योजना के तहत अब तक शादी नहीं होने के पीछे का कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनिश्चितकालीन आंदोलन पर चले जाना है.
जिले के 400 बेटियों की होनी है शादी
महिला बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री निर्धन कन्या विवाह योजना के तहत जिले की करीब 400 बेटियों की शादी साल 2022 के दिसंबर में होनी थी. लेकिन किसी कारण इसमें डीले किया गया. इसके बाद नए साल में 23 जनवरी से ही पूरे जिले के लगभग 4 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. ऐसे में 2022 के लक्ष्य के मुताबिक 400 बेटियों का सामूहिक विवाह पूरी तरह से अटक गया. वहीं विभाग ने 2022 के टारगेट को पूरा करने के लिए नए साल के फरवरी महीने के अंत तक सामूहिक विवाह संपन्न कराने का लक्ष्य रखा था. लेकिन अपनी मांगों को लेकर अभी भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के आंदोलन में डटे रहने से विभाग अब इसकी तारीख और आगे बढ़ाने पर विचार कर रहा है. इधर मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत जिन जोड़ों की शादी होनी है वो भी अब अपनी शादी को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं.
उनका कहना है कि विभाग की ओर से अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर उनकी शादी कब कराई जाएगी. हालांकि विभाग ने जरूर सभी को होल्ड कर रखा है और जल्द ही तारीख का एलान करने की बात कही हैं, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का जिस तरह से आंदोलन जारी है, उसे देखते हुए इसकी तारीख और बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. इस सामूहिक शादी को संपन्न कराने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका ही मुख्य भूमिका निभाती है.
अभी नहीं है सामूहिक विवाह की कोई तैयारी
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी मनोज कुमार सिन्हा का कहना है कि जिन जोड़ों की शादी रुकी हुई है वो बस्तर जिले के अलग-अलग ब्लॉक के हैं. हालांकि सामूहिक विवाह दिसंबर महीने में होना था, लेकिन कुछ कारण वश इसमें डीले हुआ. इसके बाद फरवरी महीने के अंत तक सामूहिक विवाह संपन्न कराने की तैयारी की गई थी, लेकिन एक बार फिर से यह तारीख अटकती हुई नजर आ रही है. उन्होंने ने बताया कि मुख्यमंत्री निर्धन कन्या विवाह योजना के तहत जिले के निर्धन परिवार की बेटियों की शासन के द्वारा शादी कराई जाती है. इसके साथ ही शासन की तरफ से नव दंपति को घर बसाने के लिए 19 हजार की उपहार सामग्री दी जाती है. एक हजार का चेक दिया जाता है. साथ ही 5 हजार रुपये की राशि सामूहिक विवाह के आयोजन खर्च की जाती है.
उन्होंने बताया कि हर साल सामूहिक विवाह योजना को संपन्न कराने के लिए विभाग को लक्ष्य दिया जाता है. कोरोना काल के चलते 3 साल तक सामूहिक विवाह पर रोक लग गई थी. कोरोना काल खत्म होते ही 2 साल में टारगेट पूरा करने के लिए विभाग ने लक्ष्य रखा था. लेकिन जिले के लगभग 4 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के एक साथ हड़ताल पर चले जाने से वर्तमान में मुख्यमंत्री निर्धन कन्या विवाह योजना के तहत होने वाली 400 बेटियों की शादी अटकती हुई नजर आ रही है.