Raksha Bandhan 2022: देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सात भाईयों को याद करती है बहन, प्रतिमाओं को बांधती है राखी
छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक बहन रक्षाबंधन के दिन अपने सात भाईयों को याद करती है. यह सातों भाई देश के लिए अपने जान का बलिदान दे दिए हैं. बहन संकुरी अपने भाईयों के प्रतिमा को राखी बाधकर घंटों बैठती है.
Sukma News: भाई-बहन के अटूट रिश्तो का पर्व रक्षाबंधन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. इन भाइयों में कई ऐसे भी हैं जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी हैं और रक्षाबंधन के पर्व पर उनकी बहने उन्हें याद कर उनके फोटो में राखी रखती है, लेकिन छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिले में एक ऐसा ही भाई बहन का अटूट रिश्ता है जहां अपने परिवार के साथ भाइयों को खोने के बाद बहन उनकी प्रतिमाओं को राखी बांधती है और वहां घंटों बैठ अपने भाइयों को याद करती है.
2007 में भाई हो गए थे शहीद
दरअसल, 19 जुलाई 2007 में सुकमा जिले के एर्राबोर में नक्सलियों के हमले में 24 जवानो की शहादत हो गयी थी. इनमें जिला पुलिस बल के तीन SPO (स्पेशल पुलिस ऑफिसर ) भी शहीद हुए थे. ये तीनों जवान एर्राबोर के रहने वाले थे और सगे भाई थे. इनकी इकलौती बहन संकुरी हैं. संकुरी ने बताया कि अलग-अलग नक्सली घटनाओं में उसने अपने परिवार के 7 भाइयों को खो दिया. इनमें 3 सगे भाई थे और बाकी परिवार के ही चचेरे भाई थे. आज से 15 साल पहले सातों भाइयों को हंसी खुशी एक साथ वह राखी बांधी थी, लेकिन देश की रक्षा के लिए अपनी ड्यूटी निभाते सभी भाई अलग-अलग घटनाओ में नक्सलियों के हमले में शहीद हो गए. शहीदों के सम्मान में प्रतिमाएं बनाई गई हैं. जिसके बाद हर साल रक्षाबंधन के दिन संकुरी अपने शहीद सात भाइयों के कलाई में नम आंखों से राखी बांधती हैं.
संकुरी कहती हैं कि भले ही उनके भाई शहीद हुए हो मगर आज भी वे उसके दिलों में जिंदा है, राखी बांधने के बाद वह ईश्वर से यही दुआ करती है कि उसके भाई जहां भी हो बस खुश रहे , संकुरी के परिवार ने सलवा जुडूम आंदोलन के बाद से अपने परिवार के 7 जवानों को नक्सलियों के साथ हुए अलग-अलग घटनाओं में खोया है.
रक्षाबंधन के दिन बहने बाधती है प्रतिमाओं को राखी
जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक सुकमा जिले के एर्राबोर में 10 शहीद जवानों की प्रतिमाएं बनाई गई है और यह सभी जवान एर्राबोर के ही रहने वाले थे. जो नक्सलियों के साथ हुए अलग-अलग वारदातों में अपनी जान की आहुति दे दी और जिन के सम्मान में इनकी प्रतिमाएं एर्राबोर गांव के चौक में बनाई गई है. हर साल राखी त्यौहार के मौके पर अपनी पुलिस भाइयों की प्रतिमाओं में राखी बांधने बहने पहुंचती हैं और 15 अगस्त 26 जनवरी के मौके पर भी उनके प्रतिमाओं में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि देती हैं.