Chhattisgarh News: भारत में आज भी ग्रामीण अंचलों में रूढ़िवादी परंपरा देखने को मिलती है. आज भी लोग सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं. ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में देखने को मिला जहां एक समाज से बहिष्कृत 95 वर्ष बुजुर्ग महिला की मौत के बाद समाज और गांव के लोगों ने कंधा तक नहीं दिया लेकिन इस रूढ़िवादी परंपरा को दरकिनार करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस और पत्रकार और समाजसेवी लोगों ने मिलकर उस 95 वर्ष की बुजुर्ग महिला का पूरे विधि विधान से कंधा देकर उनका अंतिम संस्कार किया है.


48 घंटे बाद बुजुर्ग महिला का हुआ अंतिम संस्कार


छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा क्षेत्र से समाज को आइना दिखाने वाला एक गंभीर मामला सामने आया है. सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही बुजुर्ग को मौत के बाद भी चार कांधों के लिए तरसना पड़ा है. हालांकि पुलिस स्टाफ, कुछ समाजसेवी और पत्रकारों ने बुजुर्ग को कांधा देकर सामाजिक मिशाल पेश किया है. इनके सहयोग से 48 घंटे बाद बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार किया जा सका है.


कंधा देने नहीं आए समाज के लोग


दरअसल यह मामला बेलगहना चौकी क्षेत्र के मोहली गांव का है. जहां 95 वर्षीय अमृता बाई को 50 वर्ष पहले पति के जीवित रहते हुए दूसरे जाति के व्यक्ति के साथ रहने के कारण समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. समाज के लोगों के साथ तब से उसका उठना बैठना नहीं था. बीते 9 फरवरी की रात बुजुर्ग अमृता बाई की मौत हो गई. 55 वर्षीय बेटे ने अंतिम संस्कार के लिए गांव वालों से सहयोग मांगा. लेकिन समाज से अलग होने के कारण उसे सहयोग नहीं मिला. ना ही गांव वाले सामने आए और ना ही किसी जनप्रतिनिधि से उसे सहयोग मिला.


पुलिस पत्रकार और समाजसेवी ने पेश किया मिसाल


बेलगहना चौकी प्रभारी हेमंत सिंह ने बताया कि मृतका का बेटा बेलगहना चौकी पहुंचा. यहां उसने अपनी बुजुर्ग मां के अंतिम संस्कार के लिए पुलिस से सहयोग मांगा. जिसके बाद पुलिस स्टाफ ने कुछ समाजसेवी व पत्रकारों के साथ मिलकर बुजुर्ग महिला को अंतिम कांधा दिया और पूरे विधि विधान के साथ महिला का अंतिम संस्कार किया. इसके साथ ही पुलिस ने गांव वालों को रूढ़ीवादी परंपरा से दूर रहने और परिवार को सहयोग करने का भी हिदायत दिया है.


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