Chhattisgarh: बालोद के बेटे ने रचा इतिहास, लगातार तीसरी बार पास की पीएससी की परीक्षा, DSP के पद पर हुआ चयन
Success Story: दुष्यंत ने बताया कि पीएससी की पढ़ाई के लिए उन्होंने किसी भी तरह की कोचिंग का सहारा नहीं लिया. अपने काम के साथ लगातार घर पर ही वे पीएससी की तैयारी करते रहे.
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Balod News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डोंडी ब्लॉक के वनांचल गांव के दुष्यंत कुमार ने 26 साल की उम्र में पीएससी की परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है. दुष्यंत ने लगातार तीन बार पीएससी की परीक्षा दी और तीनों में सफलता हासिल की. पहली बार पीएससी परीक्षा में दुष्यंत को ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी का पद मिला था. दूसरी बार पीएससी में कोषालय में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थापना मिली थी. वहीं अब तीसरी बार में दुष्यंत का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है.
लगातार तीसरी बार पास की पीएससी की परीक्षा, अब बने डीएसपी
दुष्यंत ने बताया कि वे वर्तमान में कांकेर जिले के चारामा के कोषालय विभाग में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं. ढाई साल से वो चारामा में कार्यरत हैं. चारामा में काम करते-करते ही वे पीएससी की तैयारी कर रहे थे. पीएससी की पढ़ाई के लिए उन्होंने किसी भी तरह की कोचिंग का सहारा नहीं लिया. अपने काम के साथ लगातार घर पर ही वे पीएससी की तैयारी करते रहे जिसका नतीजा है कि वे लगातार तीसरी बार पीएससी पास करके अब डीएसपी बन गए हैं.
'ग्रामीण क्षेत्र में रहने की वजह से कोई गाइड करने वाला नहीं था'
दुष्यंत की बहन योगेश्वरी ने बताया कि शुरू से उसका भाई पढ़ाई में होनहार था. स्कूल, कालेज में हमेशा टॉप करता था, इस बार पीएससी परीक्षा पास करके दुष्यंत का ओवरऑल में 160 रैंक आया है. दुष्यंत ने बालोद का मान बढ़ाया है. दुष्यंत ने बताया कि यह वो क्षेत्र है जहां 12वीं के बाद क्या करना है कौन सा पेपर दिलाना है यह बताने वाला भी कोई नहीं रहता है लेकिन मैंने इन सब बातों के बीच लगातार पढ़ाई पर ध्यान दिया जिसका नतीजा है कि आज मैं तीसरी बार पीएससी की परीक्षा में पास हुआ हूं और अब मेरा डीएसपी पद पर चयन हुआ है.
कोटवार का बेटा बना डीएसपी
दुष्यंत ने बालोद जिले में इतिहास रच दिया है क्योंकि पीएससी की परीक्षा लगातार तीन बार पास कर डीएसपी पद पाने वाले वो जिले के इकलौते युवक हैं. बेटे की इस उपलब्धि पर उनके पूरे परिवार को गर्व हो रहा है. दुष्यंत के पिता किसान हैं और माता कुंती बाई गृहणी हैं. वहीं उनकी दो बहन योगेश्वरी टांडिया बीएससी के बाद पीएससी की तैयारी कर रही हैं जबकि दूसरी बहन रेशमा टांडिया एमए की पढ़ाई कर रही हैं.
'बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी'
दुष्यंत की माता कुंती बाई ने बताया कि एक साथ तीन बच्चों को पढ़ाना काफी कठिन था, हमने अपने खर्चों में कमी की और बच्चों को पढ़ाया, उन्होंने कहा कि हमारे सामने कई आर्थिक समस्याएं आईं लेकिन हमने बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दी. आज हमारी स्थिति थोड़ी बहुत सुधरी है, बेटे की वजह से आज सभी बच्चे हॉस्टल में रहते हैं.
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