Sukma News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित सुकमा (Sukma) जिले में 200 मजदूरों को बीते पांच महीने से मजदूरी नहीं मिलने से नाराज मजदूरों ने रोजगार सहायक की जमकर पिटाई कर दी. मामला जिले के कोंटा ब्लॉक के दुलेड़ पंचायत का है, जहां मनरेगा योजना के तहत इस पंचायत के अलग-अलग गांव में चार तालाब और देवगुड़ी निर्माण का काम हुआ. इस दोनों कामों में गांव के 200 से ज्यादा ग्रामीणों ने मजदूरी की. तालाब निर्माण का काम तो पूरा हो गया, लेकिन मजदूरों को पांच महीने बाद भी उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है.
पंचायत के सचिव पर आरोप है कि उसने मजदूरों को किए जाने वाले कुल 61 लाख में से केवल 13 लाख रुपये का ही भुगतान किया और बची हुई राशि गबन कर ली. लगातार मांग करने के बाद भी ग्रामीणों को मजदूरी नहीं मिल रही है, जिसके चलते गांव में रहने वाले रोजगार सहायक को इन आदिवासी मजदूरों का आक्रोश झेलना पड़ा. इतना ही नहीं नाराज मजदूरों ने रोजगार सहायक की जमकर पिटाई कर दी. डरे सहमे रोजगार सहायक ने गांव के सरपंच और जनपद सदस्य के साथ सुकमा मुख्यालय पहुंच सचिव पर राशि गबन का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से जांच की मांग की है.
सचिव पर लगा लाखों रुपये के गबन का आरोप
दुलेड़ पंचायत के रोजगार सहायक पोड़ीयम आयता ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत दुलेड़ ग्राम पंचायत के खासपारा, पेद्दीपारा, मीनपा और रेंगापारा में तालाब बनाने के लिए 14- 14 लाख रुपये और देवगुड़ी बनाने के लिए 5 लाख की राशि की स्वीकृति मिली थी. पिछले साल चारों तालाब का काम पूरा किया गया. गांव के करीब 200 से ज्यादा मजदूरों ने तालाब निर्माण में मजदूरी की. इस साल मार्च महीने में चारों तालाब और देवगुड़ी के 61 लाख रुपये सचिव के द्वारा निकाल लिए गए, लेकिन मजदूरी भुगतान के नाम पर केवल 13 लाख रुपये दिए गए और शेष बची राशि पांच महीने बीत जाने के बाद भी अब तक लंबित है.
रोजगार सहायक पोड़ीयम आयता के अनुसार, मजदूरी नहीं मिलने से गांव वाले बेहद नाराज हैं. कई बार उनका आक्रोश झेलना पड़ा है. अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ग्रामीण कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं. मजदूरी भुगतान नहीं होने की वजह से हाथापाई की नौबत आ गई है, इसलिए उन्होंने जनपद सदस्य और गांव की सरपंच के साथ सुकमा कलेक्टर के पास पहुंचकर लिखित में शिकायत की है और सचिव के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की मांग की है. वहीं दुलेड़ पंचायत के सरपंच पोड़ीयम सोमड़ी ने सचिव पर फर्जी सील और हस्ताक्षर कर आदिवासी मजदूरों का पैसा निकालने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने बताया कि सचिव ने कब राशि का गबन कर लिया, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं लगी.
ग्रामीणों को 5 महीने से नहीं मिली है मजदूरी
इधर गांव के मजदूर भी पांच महीने से उनके द्वारा की गई मजदूरी का भुगतान नहीं होने से आग- बबूला हो गए हैं. मजदूरों का कहना है कि जब से सचिव के द्वारा राशि गबन की जानकारी मिली है, तब से सचिव ने गांव आना ही छोड़ दिया है. कड़ी धूप में गांव के 200 से ज्यादा मजदूरों ने तालाब निर्माण का काम किया है. ऐसे में उन्हें उनकी मजदूरी के भुगतान के लिए घुमाया जा रहा है. कई बार रोजगार सहायक को भी उनके मजदूरी को लेकर कहा गया, लेकिन रोजगार सहायक ने गोलमोल जवाब दिया. इस वजह से कुछ नाराज मजदूरों ने रोजगार सहायक की पिटाई की. मजदूरों ने भी प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें उनकी मजदूरी का पूरा भुगतान मिले.
वहीं सुकमा कलेक्टर एस हरीश ने बताया कि रोजगार सहायक से लिखित में मिली शिकायत के बाद पूरे मामले की जांच की जा रही है. मनरेगा की परियोजना अधिकारी को टीम बनाकर पूरे मामले की जांच करने को कहा गया है. कलेक्टर ने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे बक्शा नहीं जाएगा और जल्द से जल्द मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान पूरा करने की कोशिश की जाएगी.