Sukma News: बीते दिनों छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा सीमा पर स्थित जोनागुड़ा और अलीगुड़ा के पास नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों पर फायरिंग कर दिया था. इस हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो थे, जबकि 15 जवान घायल हो गए. जवानों की जवाबी कार्रवाई में नक्सली भाग खड़े हुए. इस क्षेत्र को नक्सलियों का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है. यहां पर जवानों के कैंप लगाने से नक्सली बौखलाए हुए हैं.
अपने गढ़ में जवानों की मौजूदगी देख नक्सलियों ने पहली बार अपनी पूरी ताकत के से हमला किया. नक्सलियों की बटालियन नंबर 1, कंपनी नंबर 2 के साथ आसपास की सारी एरिया कमेटी के नक्सलियों ने मिलकर सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया. इस दौरान नक्सलियों की संख्या करीब 400 थी, जवानों पर हमले के समय नक्सलियों ने पहले स्नाइपर्स का इस्तेमाल किया और फिर जवानों पर 15 किलों ग्रेनेट दाग दिया.
'जवानों की मौजूदगी से नक्सली बौखलाए'
इस संबंध में सुकमा के एसपी किरण चौहान ने बताया कि भौगोलिक दृष्टिकोण से यह पूरा इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश-तेलंगाना की सीमा से लगी हुई है. इसलिए यहां पर सीआरपीएफ कैंप लगने के बाद नक्सलियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. यही वजह है कि नक्सलियों ने बौखलाहट में जवानों पर 900 से अधिक देसी ग्रेनेट दाग दिया. सुकमा बीजापुर जिले का यह क्षेत्र नक्सलियों की राजधानी मानी जाती है. नक्सली लीडर हिडमा का गांव पुवर्ती भी इसी क्षेत्र में है, इसके अलावा कई और बड़े नक्सली नेता यहीं से आते हैं. पिछले 40 सालों से यह क्षेत्र नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ बना हुआ, हालांकि जवानों की मौजूदगी ने नक्सलियों में बौखलाहट पैदा कर दी है.
जवान और नक्सलियों में चली 4 घंटे मुठभेड़
इसलिए रणनीति के तहत नक्सलियों सबसे मजबूत हिडमा की बटालियन के 400 सदस्यों ने सीआरपीएफ के नए ठिकाने पर हमला कर दिया. नक्सलियों ने जवानों की कैंप का रुख किया तो उन्होंने महिलाओं को आगे कर दिया और खुद उनके पीछे थे. कैंप में सुरक्षा में तैनात जवानों ने वर्दीधारी नक्सलियों को देख लिया और वायरलेस सेट पर इसकी जानकरी दी, इसी बीच नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी. यह मुठभेड़ लगभग 4 घंटे तक चला. मुठभेड़ के दौरान दोनों तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग हुई. नक्सलियों की तरफ से लगभग 800 से 900 (बीजीएल बैरल ग्रेनाइट लांचर ) दागे गए. जिसमें सीआरपीएफ के 3 जवान शहीद हो गए.
मारे गए साथियों का शव ले गए नक्सली
इस मुठभेड़ में नक्सलियों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. बताया जा रहा है कि 10 से 12 नक्सलियों की इस मुठभेड़ में मारे जाने की खबर है. वहीं आम तौर पर नक्सली जैसा करते हैं भागते समय अपने साथ अपने साथियों के शवों को ले जाते हैं. वैसा ही इस बार भी उन्होंने किया. इस इलाके में पिछले दो महीने में पांच कैंप खुले हैं. इससे पहले जब साल 2021 में जब सीआरपीएफ की टीम इस इलाके में पहुंची थी, तब उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इस दौरान सीआरपीएफ के 22 जवानों की शहादत हु थी. हालांकि अब सीआरपीएफ टीम पूरी तरह से तैयार है और नक्सलियों के गढ़ को भेदने के पूरी तरह तैयार है. नक्सलियों पर अंकुश लगाने के लिए टेकलगुड़ा में नया कैंप स्थापित किया है.
रिपोर्ट- जयप्रकाश त्रिपाठी
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