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Bastar: नक्सली हमले में कांग्रेसी नेताओं की शहादत के बाद कितनी बदली घाटी की तस्वीर, क्या पहुंच सका झीरम में विकास?
छत्तीसगढ़ में स्थित सुकमा जिले के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं की हत्या कर दी थी. इस घटना के नौ साल बीत जाने के बाद भी लोगों में डर का माहौल बना हुआ है.
![Bastar: नक्सली हमले में कांग्रेसी नेताओं की शहादत के बाद कितनी बदली घाटी की तस्वीर, क्या पहुंच सका झीरम में विकास? Sukma district Congress leaders were killed by Naxalites on 25 May 2013 in Jhiram Ghati Chhattisgarh ANN Bastar: नक्सली हमले में कांग्रेसी नेताओं की शहादत के बाद कितनी बदली घाटी की तस्वीर, क्या पहुंच सका झीरम में विकास?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/11/03/e8a37e5e7806e664d678e226945c279c1667439639717449_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 22 साल पूरे हो गए हैं. इन 22 सालों में खासकर बस्तर संभाग के ग्रामीण अंचलों में काफी कुछ बदलाव हुआ है. यहां के लोगों के साथ-साथ गांव की तस्वीर भी बदली है. इन 22 सालों में बस्तर में कई ऐसी बड़ी नक्सली वारदात हुई है, जिसमें 200 से ज्यादा पुलिस के जवानों ने अपनी शहादत दी है. वहीं एक बड़े हमले में कांग्रेस की एक पीढ़ी पूरी तरह से समाप्त हो गई है.
9 साल पहले हुई थी घटना
दरअसल, यह घटना 25 मई 2013 की है. जब सुकमा जिला से परिवर्तन यात्रा सभा कर लौट रहे कांग्रेसियों पर झीरम घाटी में नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग किया था और नक्सलियों की गोलीबारी से तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा लोगों की शहादत हो गई. इस घटना को अब 9 साल बीत गए हैं. बीते 25 मई को झीरम घाटी पहुंचकर कांग्रेसियों ने सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी. घटना के 9 साल बाद झीरम घाटी में काफी हद तक दहशत कम हुई, लेकिन आज भी इस रास्ते से गुजरते लोग उस भयानक मंजर को सोचकर कांप जाते हैं. इस रास्ते से रात के समय सफर करने से भी कुछ पारिवारिक हिचकते हैं. हालांकि बस्तर पुलिस का दावा है कि झीरम घाटी पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है और उस बड़ी घटना के बाद कोई बड़ी वारदात झीरम घाटी में नहीं हुई है, लेकिन उस भयानक मंजर को याद कर लोग डर जाते हैं.
घटना के बाद किया गया सड़क चौड़ीकरण
झीरम घाटी में घटे इस घटना के बाद तत्कालीन सरकार ने सबसे पहले इस इलाके में सड़क चौड़ीकरण का काम किया. इसके साथ ही दरभा से लेकर झीरम घाटी के बीच स्ट्रीट लाइट भी लगाएं. ताकि रात को भी लोग इस रास्ते से गुजरने के लिए डर महसूस ना करें. इसके अलावा जिस पुल को नक्सलियों ने ब्लास्ट कर उड़ाया था, उस पुल को भी दोबारा बनाया गया. इस घटना से जिस वाहन के ब्लास्ट से परखच्चे उड़े थे, उन सभी को पुलिस ने घटना के करीब 4 से 5 सालों बाद उठा लिया. हालांकि दिन में सफर करते वक्त अब इस झीरम घाटी में लोगों को डर महसूस नहीं होता है.
इस रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों का कहना है कि रात के वक्त जरूर इस झीरम घाटी से गुजरते वक्त डर सा महसूस जरूर होता है, क्योंकि 9 साल पहले जिस बड़ी घटना को दिनदहाड़े नक्सलियों ने अंजाम दिया था, उसके बाद कुछ सालों तक चाह कर भी लोग दिन में भी इस सड़क से नहीं गुजरना चाहते थे, लेकिन अब इस इलाके में घटना के बाद नए पुलिस कैंप खोले गए हैं. काफी हद तक लोगों के मन से डर हटा है. वहीं आसपास के ग्रामीण अंचलों में भी विकास होने से अब झीरम घाटी के झीरम गांव में चहल-पहल दिखाई देने लगी है.
क्या कहा बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने?
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 22 सालों में जरूर नक्सलियों ने कई बड़ी वारदातो को अंजाम दिया है. जिसमें दरभा झीरम घाटी के सड़क में भी आज से 9 साल पहले नक्सलियों ने लगातार घटनाओं को अंजाम दिया है, लेकिन बस्तर पुलिस ने सबसे पहले प्रशासन के साथ मिलकर इस इलाके में नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण करने के साथ आसपास के इलाके को विकसित करने का काम शुरू किया. इस इलाके को नक्सल मुक्त करने के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाकर दरभा डिवीजन में सक्रिय कई नक्सलियों को भी मार गिराया गया और कुछ नक्सलियों को गिरफ्तार किया. इसके अलावा कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने खुद सरेंडर कर दिया. आईजी ने कहा कि हालांकि अभी भी इस इलाके में पुलिस पूरी तरह से निगरानी रखती है और दरभा झीरम घाटी इलाके में 4 से भी ज्यादा सुरक्षा बलों के कैंप खोलने से अब लोगों में डर खत्म हो गया है. और निश्चिंत होकर दिन और रात में इस सड़क से राहगीर आना-जाना कर रहे हैं.
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