Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के रेगड़गट्टा गांव में एक अज्ञात बीमारी ने कहर बरपा रखा है. ये बीमारी लगातार ग्रामीणों की जान ले रही है. पिछले 2 सालों में अब तक 61 लोगों की मौत इस बीमारी से हो चुकी है. पहली बार मामला सामने आने के बाद सुकमा जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. जिसके चलते लगातार मौत होते गई और अभी भी गांव के 40 से अधिक ग्रामीण इस बीमारी की चपेट में है. हालांकि इन ग्रामीणों में से कुछ मरीजों का इलाज सुकमा शहर के जिला अस्पताल में चल रहा है. अज्ञात बीमारी को लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम गंभीर होते नहीं दिखाई दे रही है. इस वजह से अब तक इस बीमारी के बारे में कोई जानकारी स्वास्थ्य विभाग को पता नहीं लग पाई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम जरूर ग्रामीणों के सैंपल लिए हैं, लेकिन इनकी जांच रिपोर्ट भी नहीं आ पाई है. जिसके चलते यहां के ग्रामीणों को उनकी जान की चिंता सताने लगी है.


61 लोगों की अज्ञात बीमारी ने ले ली है जान 
इस रहस्यमयी बीमारी और उससे हो रही मौत को लेकर रेगड़गट्टा गांव के आसपास के लोगों को भी डर सताने लगा है. यहां के ग्रामीण पांडू राम मुचाकी ने बताया कि रेगड़ी पट्टी गांव के बड़ा पारा, पटेल पारा और ताड़गोड़ा पारा के लोग इस अज्ञात बीमारी से सबसे ज्यादा ग्रसित हैं. हाथ-पैर में सूजन के बाद पेट फूलने की शिकायत होती है. पूरे शरीर में दर्द बढ़ जाता है और उसके कुछ दिनों में मरीज की मौत हो जाती है. साल 2020 में पहली मौत माड़वी मंगड़ू की हुई थी. उसके बाद से मौत का सिलसिला आज तक जारी है.



पांडूराम का कहना है कि पिछले 2 सालो में प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाये गये. अगर समय पर अज्ञात बीमारी की पहचान हो जाती तो मौत का आंकड़ा रुक सकता था.पांडु राम ने बताया कि अभी भी गांव के 40 से ज्यादा लोग इस बीमारी के चपेट में हैं. इस गांव के अन्य ग्रामीणों के अनुसार रेगड़गट्टा गांव में बीते 2 साल में हर दूसरे घर से अर्थी उठी है. गांव का एक ऐसा परिवार भी है. जिसके 5 में से 4 लोगों की मौत डेढ़ माह के भीतर ही हो गई और परिवार में 10 साल का एक मासूम ही बचा है.


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पीलिया और यूरिक एसिड की शिकायत
सुकमा शहर से करीब 100 किमी दूर रेगड़गट्टा गांव ग्राम पंचायत मुख्यालय है. यहां करीब 200 घर हैं. इस बीमारी से ग्रसित हुए मुचाकी हिड़मा ने बताया कि पैरों में सूजन के साथ जलन और दर्द होता है. उनका तेलंगाना राज्य के भद्राचलम में इलाज चल रहा है. डॉक्टर ने पीलिया और यूरिक एसिड बढ़ने की पुष्टि की है और अब तक इलाज में 50 हजार से ज्यादा खर्च हो गया है.अज्ञात बीमारी से मौत होने की जानकारी सामने आने के बाद एक बार फिर जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी की अगुवाई में मेडिकल टीम का गठन कर गांव में भी भेजा गया. टीम ने इस बीमारी का पता लगाने के लिए एक बार ग्रामीणों ब्लड सेम्पल लिया और जांच रिर्पोट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता लगने की बात कही है लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक इससे पहले भी कई बार ग्रामीणों के सैंपल लिए गए है, लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं मिल सकी है. एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग खानापूर्ति कर रहा है.


मंत्री लखमा ने कहा मीडिया के माध्यम से मुझे  मिली जानकारी
इस मामले को लेकर प्रदेश के आबकारी मंत्री और इस क्षेत्र के विधायक कवासी लखमा का कहना है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें यह जानकारी लगी है. जानकारी मिलते ही तत्काल एसडीएम और कलेक्टर को निर्देशित किया गया और गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजा गया है. मंत्री लखमा का कहना है कि क्योंकि यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है और यहां जाने के लिए सड़क भी नहीं है. केवल ट्रैक्टर ही इस गांव तक पहुंच पाता है. ऐसे में अभी इस बीमारी से ग्रसित 10 से 12 ग्रामीणों को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सुकमा के जिला अस्पताल में लाया है और इनका इलाज किया जा रहा है. 


लखमा ने कहा कि इस बीमारी का पता लगाने के लिए स्वास्थ विभाग के साथ जिला प्रशासन की टीम को निर्देशित किया गया है और इसके रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम उठाने के भी आदेश दिए गए हैं.


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