भारी बारिश से सुकमा में बिगड़े हालात, 20 कि.मी पैदल चलकर शव को खाट पर लेकर गांव पहुंचे परिजन
Sukma News: सुकमा में भारी बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई हैं. एक व्यक्ति के शव को परिजन बारिश में 20 किलोमीटर पैदल ले गए. घटना बारिश के दिनों और सामान्य दिनों में आम है. सुकमा में सड़कें नहीं हैं.
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Sukma: छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में भी भारी बारिश के कारण आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. नदी नाले उफान पर हैं, 2 दर्जन से अधिक सड़को पर पानी भर गया है, बाढ़ का पानी पुल के ऊपर से बह रहा है. जिसके कारण स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसी ही एक तस्वीर सुकमा जिले से निकलकर सामने आई है जहां परिजन मृतक के शव को खाट में उठाकर 20 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे हैं. दरअसल भारी बारिश की वजह से सड़को और पुल पुलियो में पानी भर जाने से इस सड़क पर आवागमन प्रभावित हो गयी जिसके चलते पैदल ही चलकर ग्रामीण मृतक के शव को खाट में बोकर गांव पहुंचे.
शव को खाट में उठाकर 20 किलोमीटर पैदल चल गांव पहुंचे परिजन
मृतक के परिजनों ने बताया कि बीते दिनों सुकमा जिले के किस्टाराम थाना क्षेत्र के अरलापेंटा निवासी ग्रामीण सुक्कु गंभीर रूप से एक बीमारी से ग्रसित था. जिसके ईलाज के लिए तेलगांना के भद्राचलम ले जाया गया था, लेकिन भद्राचलम के अस्पताल में इलाज में अधिक खर्चा बढ़ जाने के कारण मरीज को डिस्चार्ज कराने के बाद वापस लाकर इतनपाड़ गांव में देशी ईलाज करवाया जा रहा था, लेकिन 21 जुलाई को सुक्कु की मौत हो गई.
मौत के बाद परिजनो ने मृतक के पार्थिव शरीर को अपने गृहग्राम अरलापेंटा ले जाने की कोशिश की, लेकिन भारी बारिश की वजह से चारों तरफ सड़क मार्ग में बारिश का पानी बढ़ जाने के कारण रास्ता बंद हो गया, जिसके बाद परिजनों ने मृतक के शव को खाट में उठाकर तिगनपल्ली होते हुए जंगल के रास्ते भारी बारिश के बीच करीब 20 किलोमीटर का पैदल सफर करते हुए अपने गृह ग्राम अरलापेंटा तक पहुंचे.
गौरतलब है कि ऐसी स्थित बारिश के दिनों के साथ ही सामान्य दिनों में भी हमेशा सुकमा व बीजापुर ज़िले में देखने को मिलती है, जहां सड़क मार्ग नहीं होने के कारण और शव को गांव ले जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नही होने के कारण मरीजों को खाट में उठाकर परिजनों द्वारा अस्पताल या गांव पहुंचाया जाता है.
बारिश की वजह से कई गांव टापू में हुए तब्दील
इधर बारिश की वजह से खासकर दक्षिण बस्तर में इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं, वहीं गंभीर रूप से बीमार ग्रामीणों को इलाज भी नहीं मिल पा रहा है, वहीं अंदरूनी इलाकों में साधन संसाधन नहीं होने की वजह से और भारी बारिश की वजह से नदी नाले उफान में रहने की वजह से आपातकालीन स्थिति में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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