छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में अब ग्रामीण नक्सलियों के क्रूरता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं और नक्सलियों को अपनी नरसंहार बंद करने की मांग कर रहे हैं. इस वीडियो में ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भोले भाले मासूम ग्रामीणों की हत्या बंद करने की मांग कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल सुकमा जिले के गोल्लापल्ली इलाके से एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्थानीय ग्रामीण नक्सलियों के आतंक के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और ग्रामीण नक्सलियों से सड़कों को क्षतिग्रस्त ना करने और निर्दोष आदिवासियों की हत्या बंद करने की मांग कर रहे हैं.


इस वीडियो में करीब 40 से ज्यादा की संख्या में ग्रामीण नजर आ रहे हैं जो घोर नक्सल प्रभावित  गोलापल्ली गांव के आसपास इलाके के रहने वाले हैं. आए दिन नक्सलियों द्वारा निर्दोष ग्रामीणों की पुलिस मुखबिरी के शक में हत्या करने और सड़कों को काटने से लेकर उन पर  नक्सलियों द्वारा  अत्याचार करने को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट रहा है, जिसके चलते नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीण अपनी आवाज बुलंद करते नजर आ रहे रहे हैं.



नक्सलगढ़ से पहली बार आया वीडियो सामने


गोलापल्ली के ग्रामीणों का कहना है कि नक्सली पुलिस मुखबिरी के शक में लगातार ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं, वही क्षेत्र में विकास कार्य के लिए भी बाधा बने हुए हैं, नक्सलियों की वजह से ना हीं उनके गांव में विकास कार्य हो रहे हैं, और ना ही सड़क, बिजली पहुंच पा रही है. सड़कें बनाने के बावजूद नक्सली इन सड़कों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, यही नहीं नक्सली  जन अदालत लगाकर निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं, इसलिए अब ग्रामीण अपने गांव में नक्सली हिंसा नहीं चाहते हैं.


हालांकि इससे पहले भी ग्रामीण नक्सलियों का इस तरह से विरोध कर चुके हैं, लेकिन नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले गोल्लापल्ली से पहली बार नक्सली हिंसा के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का इस तरह नारेबाजी करने का  वीडियो सामने आया है, जिसमें खुलकर ग्रामीण नक्सलियों के अत्याचार का विरोध कर रहे हैं.


नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीण कर रहे आवाज बुलंद


इस मामले में बस्तर के आईजी सुंदरराज  पी का कहना है कि अब बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों के ग्रामीण समझ चुके हैं कि नक्सली उनके हितेषी नहीं बल्कि विकास विरोधी हैं, और भोले-भाले ग्रामीणों की बेवजह हत्या कर रहे हैं, इससे पहले भी बस्तर संभाग के अलग-अलग नक्सल प्रभावित इलाकों से ग्रामीण नक्सलियों का खुलकर सामना कर चुके हैं.


आईजी का कहना है कि बस्तर में अब वह दिन दूर नहीं जब ग्रामीण ही नक्सलियों को अपने गांव से खदेड़ेंगे, ग्रामीण भी चाहते हैं कि अब उनके गांव और क्षेत्र का विकास हो और उन गांव में मूलभूत सुविधाएं पहुंचे, उनके बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर सके और आम लोगों की तरह अपनी जिंदगी ग्रामीण जी सके, यही वजह है कि बीते कुछ सालों में ग्रामीणों की वजह से ही नक्सली कई इलाकों में बैकफुट पर है, और ग्रामीण भी उनका साथ नहीं दे रहे हैं.


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