Chhattisgarh News: बस्तर (Bastar) बीते चार दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. यहां थाना खोलना या पुलिस कैंप स्थापित करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. इसकी वजह है नक्सलियों का खौफ, लेकिन बीते पांच सालों में बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों ने 40 सालों से नामुमकिन कामों को मुमकिन कर दिखाया है. पांच सालों में बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 80 से ज्यादा पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं. 


इन कैंपों में से शनिवार को सुकमा (Sukma) जिले के पूवर्ती गांव में खुला कैंप पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. दरअसल, ये 30 लाख रुपये के इनामी नक्सली झीरमघाटी, कसालपाड़, बुर्कापाल के साथ-साथ 20 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों के मास्टरमाइंड खूंखार नक्सली हिड़मा का गांव है. इस पूवर्ती गांव में पहुंचने और पुलिस कैंप स्थापित करने के लिए बस्तर पुलिस को 40 साल लग गए. हिड़मा जैसे और भी बड़े नक्सलियों का खास ठिकाना और उनका घर भी सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में मौजूद है. शनिवार को सुकमा पुलिस ने गांव में नया पुलिस कैंप स्थापित किया. इस दौरान सुकमा एसपी भी यहां पहुंचे.


नए पुलिस कैंप स्थापित के वक्त नक्सलियों ने की फायरिंग
सुकमा जिले के एसपी  किरण चव्हाण  ने बताया कि पुलिस ने अपने इतिहास में अब तक के सबसे खतरनाक इलाके में कैंप खोलने में सफलता हासिल की है. इसके लिए वे खुद इस नए कैंप में मोर्चा संभाले हुए हैं. एसपी ने बताया कि यहां  पुलिस कैंप स्थापित करने से नक्सली पूरी तरह से बौखला गए हैं. शनिवार सुबह जब जवान यहां पहुंचे. उसके बाद से नक्सली लगातार जवानों पर हमला करते रहे. नक्सली रुक-रुक कर जवानों पर फायरिंग करते रहे, लेकिन जवानों की सतर्कता की वजह से नक्सली अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके और जवानों ने यहां कैम्प स्थापित कर लिया. 


एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि, सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी, बस्तर फाइटर के सैकड़ों जवानों के साथ दो आईपीएस अधिकारी, जिले के एसपी और सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के नेतृत्व में कैंप का काम पूरा किया जा रहा है. आने वाले सप्ताह भर में पूवर्ती गांव में यह बेस कैंप पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि, पूवर्ती गांव नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता है. इस गांव में पुलिस फोर्स ने कई बार घुसने की कोशिश तो की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इस दौरान कई बड़े नक्सली हमले हुए जिसमें बड़ी संख्या में जवानों की भी शहादत हुई. 


पूवर्ती गांव चारों तरफ पहाड़ी और जंगलों से घिरा हुआ
एसपी ने बताया कि, पूवर्ती गांव चारों तरफ पहाड़ी और जंगलों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि नक्सलियों को इस जगह की पूरी जानकारी है. यहां पहुंचने वाले जवानों को नक्सली एंबुश में फंसा कर अपना टारगेट बनाते हैं. खासकर इस क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों में सबसे बड़ा नाम पीएलजीए बटालियन नंबर-एक के नक्सली कमांडर और सेंट्रल कमेटी मेंबर हिड़मा का है. पूवर्ती गांव को हिड़मा का इलाका माना जाता है. इस गांव का रहने वाला हिड़मा 25 से ज्यादा हमले में शामिल रहा है. इसी जिले में साल 2010 में ताड़मेटला हमला जिसमें, 76 जवानों की शहादत हुई थी, बुर्कापाल हमला, जिसमें 24 जवानों की शहादत हुई थी, कसालपाड़ का हमला, जिसमें 17 जवानों की शहादत हुई थी, इसके अलावा टेकलगुड़ेम-1 का हमला, जिसमें 23 जवानों की शहादत हुई थी. साल 2001 में नक्सली संगठन से जुड़े हिड़मा को ऐसी कई घटनाओं का मास्टरमाइंड माना जाता है.


हिड़मा की पुलिस को लंबे समय से है तलाश
किरण चव्हाण ने बताया कि, हिड़मा पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 30 लाख, आंध्र प्रदेश ने 25 लाख, तेलंगाना ने 30 लाख  और उड़ीसा सरकार ने 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. बता दें कि चार लेयर की सुरक्षा घेरे में रहने वाले हिड़मा की चारों राज्यों की पुलिस लंबे समय से तलाश कर रही है. पूवर्ती गांव हिड़मा का मुख्य ठिकाना है. कई बार इस गांव में हिड़मा के रहने की सूचना पर ऑपरेशन तो चलाए गए, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई. एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि हिड़मा के अलावा नक्सली कमांडर बारसे देवा जिसे हाल ही में टेकलगुड़ेम-2 में हुए हमले का मास्टरमाइंड बताया जाता है. इस नक्सली का भी पूवर्ती गांव खास ठिकाना है. इसके अलावा और कई बड़े नक्सली लीडर इसी इलाके में सक्रिय होते हैं, जो नक्सलियों के बटालियन नंबर एक के सदस्य हैं. उन्हें भी टारगेट बनाकर अब इसी पूवर्ती गांव में स्थापित पुलिस कैम्प से एंटी नक्सल ऑपरेशन लॉन्च किया जाएगा. 


बीजापुर और सुकमा जिले का यह सरहदी इलाका नक्सलियों की जननी
गौरतलब है कि, बस्तर के बीजापुर और सुकमा जिले का यह सरहदी इलाका नक्सलियों की जननी और संगठन के बेहद सुरक्षित पनाहगार  के रूप में जाना जाता है. पूवर्ती गांव में कैंप खोलने को लेकर कहा  जा रहा है कि यह पुलिस का अब तक का सबसे खतरनाक इलाके में खोला गया कैंप है. इस जगह आज से कुछ समय पहले तक कैंप खोलना तो दूर की बात है, यहां  एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाना  मुश्किल हो जाता था. 


इस गांव तक पहुंचने के लिए कई जवानों ने अपनी शहादत भी दी  है, लेकिन आखिरकार शनिवार को इस पूवर्ती गांव में पुलिस को कैंप खोलने में एक बड़ी सफलता मिली है. कैम्प स्थापित किये जाने से अब इस इलाके के ग्रामीणों को इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलने के साथ सरकार की योजनाओं का भी लाभ मिल पाएगा.


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