Sukma News: नक्सलियों के तोड़े गए स्कूल को प्रशासन ने बनवाया पक्का भवन, खुशी में ढोल लेकर नाचे बच्चे
नक्सलियों के तोड़े गए स्कूल को प्रशासन ने कई वर्षों बाद पक्का भवन बनाकर दिया. स्कूल भवन के बनने से बच्चों और ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. बच्चे बस्तरिया डांस करने लग गए.
लंबे समय से नक्सलवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पक्के स्कूल भवन की खुशी पर बच्चे ढोल लेकर नाचे. नक्सलियों के तोड़े गए स्कूल को प्रशासन ने कई सालों बाद पक्का भवन बनाकर दिया. स्कूल भवन के बनने से बच्चों और ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. बच्चे ढोल लेकर स्कूल के बाहर बस्तरिया डांस करने लग गए और तालियां बजाकर खुशी जाहिर की. सुकमा कलेक्टर विनीत नंदनवार ने ग्रामीणों के साथ मिलकर भवन का वर्चुअल उद्घाटन किया. बच्चों को टूटे फूटे और झोपड़ीनुमा स्कूल से निजात मिल गई है. पक्के स्कूल भवन में पढ़ने पर बच्चे काफी खुश दिखे.
स्कूल भवन पक्का होने से बच्चों में खुशी
सुकमा शहर से लगभग 50 किमी दूर मोरपल्ली गांव पूरी तरह से नक्सलियों का गढ़ है. साल 2005 से 2010 के बीच सलवा जुडूम और नक्सलवाद की वजह से गांव वीरान हो गया था. गांव में पहले से मौजूद पक्के स्कूलों को भी नक्सलियों ने तोड़ दिया. धीरे-धीरे थोड़े हालात सुधरने लगे. गांव में बच्चों की पढ़ाई के लिए झोपड़ी का स्कूल बनाए गए. झोपड़ी में प्राइमरी के बच्चे पढ़ते थे, लेकिन शिक्षा हासिल करना आसान नहीं था. तेज बारिश में छत से पानी टपकता और टाटपट्टी गीली हो जाती थी.
आंधी चलती तो छत उड़ जाता. ग्रामीणों ने सुकमा कलेक्टर से स्कूल भवन बनाने की मांग की. कलेक्टर ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनी और स्कूल भवन संबंधी काम का आदेश जारी कर दिया. हालात ऐसे थे कि गांव में भवन बनाने के लिए मैटेरियल पहुंचाना भी मुश्किल था, क्योंकि गांव तक पक्की सड़क नहीं थी. नक्सल खौफ की वजह से निर्माण काम में लगे मालवाहक वाहन के चालक सामान ले जाने से डरते थे. धीरे-धीरे स्कूल भवन का काम पूरा किया गया. इस काम में इलाके के लोगों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया.
गांव में राशन दुकान खोले जाने की मांग
स्कूल भवन बनने के बाद बच्चे, ग्रामीण, शिक्षकों ने मिलकर भवन की पूजा की और फिर एक स्कूली छात्रा ने रीबन काटकर उद्घाटन किया. सालभर पहले ही मोबाइल नेटवर्क गांव में पहुंचा है और अब ग्रामीण भी स्मार्ट हो रहे हैं. गांव में अब लगातार कनेक्टिविटी बढ़ाने का काम किया जा रहा है. हालांकि क्सलियों की पैठ गांव में आज भी बरकरार है. ग्रामीणों ने कलेक्टर से गांव में ही राशन दुकान खोलने की भी मांग की है.