Chhattisgarh News: जिले के कलेक्टर को हटाने की मांग और सरकारी नौकरी में स्थानीय भर्ती की मांग को लेकर मंगलवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कलेक्ट्रेट का सर्व आदिवासी समाज ने घेराव कर दिया. अपने 20 सूत्रीय मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने जंगी प्रदर्शन किया. पुलिस प्रशासन को पहले ही आदिवासी समाज द्वारा कलेक्ट्रेट घेराव की खबर लग चुकी थी. सुरक्षा के नाम पर पुलिस ने बलों की तैनाती के साथ बैरिकेडिंग की थी जिसे तोड़ते हुए ग्रामीण जिला कार्यालय के परिसर में घुस गये और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए ग्रामीणों ने अपना आक्रोश जताया. साथ ही कलेक्टर हटाओ के नारे भी लगाए.


समाज प्रमुख कलेक्टर से हैं नाराज


सुकमा जिले के अलग-अलग गांव से सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया. मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों की समझाईश के बाद भी ग्रामीण नहीं माने. समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकारी विभागों में स्थानीय युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता दी जाए. इस मांग को लेकर बीते 11 मार्च को आदिवासी समाज सुकमा कलेक्टर विनीत नंदनवार से मिलने आये थे. करीब 40 मिनट तक इंतजार करने और दो बार सूचना देने के बाद भी कलेक्टर विनीत नंदनवार ने समाज प्रमुखों से मिलने से मना कर दिया.


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कलेक्टर के खिलाफ खोला मोर्चा 


इस बात से नाराज समाज प्रमुखों ने कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष पोज्जाराम मरकाम ने कहा कि समाज के पदाधिकारी क्षेत्र की समस्या को लेकर कलेक्टर से मिलने आये थे लेकिन कलेक्टर ने मिलने से मना कर दिया. इस हरकत से समाज के पदाधिकारियों का ही नहीं बल्कि पूरे बस्तर के मूल निवासी समाज का अपमान हुआ है. इसलिए कलेक्टर सुकमा को हटाने की मांग समाज ने की है. उन्होंने कहा, 5 दिनों के भीतर अगर कलेक्टर को नहीं हटाया जाता है तो आदिवासी समाज फिर से उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा. इधर भारी मशक्कत के बाद और समाज के पदाधिकारियों की समझाईश के बाद ग्रामीणों ने अपना अंदोलन खत्म किया.


क्या है समाज की प्रमुख मांगे


सर्व आदिवासी समाज ने 20 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. जिसमें मुख्य रूप से मनरेगा योजना के अंतर्गत लंबे समय से अटके पड़े मजदूरी भुगतान को तत्काल दिया जाए. आदिवासी के नाम से फर्जी जाति पर कार्यरत शासकीय कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए, जिले में जाति प्रमाण-पत्र की तरह मिसल, वंशावली रिकार्ड के आधार पर निवास प्रमाण-पत्र बनवाया जाए, साथ ही जिले में ईसाई मिशनरियों के द्वारा आदिवासियों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.


जिले में हजारों बेकसुर आदिवासियों को नक्सलियों के नाम पर जेल भेजा गया उन्हें निष्पक्ष जांच कर रिहा किया जाए, एड़समेटा में मारे गए निर्दोष आदिवासी परिवारों को मुआवजा और नौकरी दिया जाये, साथ ही जिले में बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए. पिछले कई सालों में गैर आदिवासियों के द्वारा जमीन खरीदी ब्रिकी पर धांधली किया जा रहा है जिसे 170 ख के तहत मूल मालिक को जमीन वापस किया जाए, साथ ही कुछ शासकीय अधिकारियों को हटाने की मांग भी ग्रामीणों ने की है.


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