Sukma News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा (Sukma) जिले में तीन इनामी नक्सलियों ने सुकमा पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. सरेंडर नक्सलियों में एक नक्सली दंपति है. वहीं एक नक्सली संगठन का कटेकल्याण क्षेत्र का पूर्व एलजीएस  डिप्टी कमांडर है. नक्सली दंपति पर एक- एक लाख रुपये का इनाम था, जबकि एलजीएस डिप्टी  कमांडर पर तीन लाख रुपये का इनाम पुलिस ने घोषित कर रखा था. तीनों ही नक्सली  25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी नक्सली हमले में शामिल रह चुके हैं.


पुलिस के बढ़ते दबाव और सरकार की  पुनर्वास  नीति से प्रभावित होकर इन तीनों नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि पुलिस के द्वारा पूना नर्कोम  (नई सुबह नई शुरुआत) अभियान  चलाया जा रहा है. इसके तहत गांव-गांव में जवानों के द्वारा नक्सलियों से सरेंडर करने की अपील की जा रही है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार की नई पुनर्वासनीति का भी गांव-गांव में  प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसी के तहत पिछले कुछ सालों से सुकमा इलाके में सक्रिय  नक्सली लगातार  सरेंडर कर रहे हैं और एक सामान्य जिंदगी जी रहे हैं.


नक्सली लीडरों के प्रताड़ना से तंग आकर किया समर्पण
सुकमा एसपी ने बताया कि इसी अभियान के तहत एक नक्सली दंपति वेल्ला उर्फ संदीप और धनी उर्फ देवे के साथ एलजीएस डिप्टी कमांडर मड़कम लोकेश उर्फ हूंगा ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है. नक्सली दंपति पर एक-एक और एलजीएस डिप्टी कमांडर  पर तीन लाख का इनाम था. वहीं सरेंडर नक्सलियों का कहना है कि लगातार बड़े नक्सली लीडरों के प्रताड़ना से परेशान होकर और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उन्होंने सरेंडर किया है.  


नक्सली संगठन पड़ा रहा कमजोर
उन्होंने यह भी खुलासा किया है कि अब सुकमा एरिया में लगातार नक्सली संगठन कमजोर पड़ रहा है और स्थानीय नक्सली बड़े नक्सली लीडरों की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वजह से ही आने वाले दिनों में और भी नक्सली सरेंडर कर सकते हैं. एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि पूना नर्कोम अभियान के तहत सुकमा जिले में अब तक 300 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है. सभी को पुनर्वास नीति का लाभ भी दिया जा रहा है. इनमें से कई नक्सलियों को तो पुलिस में भी भर्ती किया गया है.


बता दें बस्तर जिले के दरभा झीरम घाट में नक्सलियों ने 25 मई 2013 को सुकमा से परिवर्तन यात्रा कर लौट रहे कांग्रेस के काफिले में हमला किया था. इस हमले में कांग्रेस की एक पीढ़ी समाप्त हो गई थी. इस घटना को 10 साल पूरे हो चुके हैं. वहीं 10 साल बाद इस घटना में शामिल रहे नक्सली अब धीरे -धीरे आत्मसमर्पण कर रहे हैं.


Chhattisgarh: सीएम भूपेश बघेल प्रदेश में ईडी और आईटी के छापों का बताया कारण, कही ये बड़ी बात