Surajpur News: सूरजपुर में अनेकों कीर्तिमान हासिल करने वाला एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) का बिश्रामपुर क्षेत्र पिछले कई वर्षों से कोयला उत्पादन के विकराल संकट से जूझ रहा है. हर साल लगातार सैकड़ों करोड़ घाटे में रहने की वजह से क्षेत्रीय प्रबंधन को अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा है. बिश्रामपुर क्षेत्र में स्थित कोयला खदानों की स्थिति अत्यंत दयनीय है. बता दें कि एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र से करीब चार साल से रेलवे के जरिए कोयला की आपूर्ति बंद है. कोयला आपूर्ति बंद रहने के कारण रेलवे ने बतौर भाड़ा छह सौ करोड़ से अधिक घाटा होने का अनुमान लगाया है.
कोयला उत्पादन संकट के कारण करोड़ों का घाटा
कोयला उत्पादन संकट के कारण कई वर्षों से सैकड़ों करोड़ के घाटे ने बिश्रामपुर क्षेत्र का अस्तित्व भी खतरे में डाल दिया है. जानकारी के मुताबिक, अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य नहीं मिल पाने की वजह से क्षेत्र की अमेरा और आमगांव ओपन कॉस्ट परियोजनाएं करीब चार साल से बंद पड़ी हैं. इनमें से आमगांव ओपन कॉस्ट परियोजना से जल्द ही कोयला उत्पादन शुरू होने के आसार हैं. विश्रामपुर ओपन कॉस्ट परियोजना करीब चार वर्षों से बंद रहने के साथ ही अब अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. क्षेत्र की कुमदा और बलरामपुर भूमिगत खदाने भी बंदी के कगार पर हैं.
चार साल से रेलवे के जरिए कोयला की आपूर्ति बंद
बिश्रामपुर क्षेत्र की गायत्री, रेहर और नवागत केतकी भूमिगत खदानों के साथ ही कई वर्षों से बंद आमगांव एवं अमेरा ओपन कॉस्ट खदानों के चालू होने के बाद ही क्षेत्र में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरने की उम्मीद है. गौरतलब है कि सूरजपुर जिले में बिश्रामपुर के अलावा एसईसीएल के भटगांव क्षेत्र में कोयले का बंपर उत्पादन हो रहा है. बिश्रामपुर क्षेत्र के जीएम अमित सक्सेना का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में कोयला उत्पादन नहीं होने के कारण चार साल से रेलवे के जरिए कोयला आपूर्ति बंद है. आमगांव खदान से जल्द ही कोयला उत्पादन शुरू हो जाएगा. आमगांव खदान से कोयला उत्पादन शुरू होने के बाद क्षेत्र से रेलवे के जरिए कोयला आपूर्ति भी शुरू हो जाएगी. रेलवे साइडिंग में नियमानुसार इनमोशन वे ब्रिज की स्थापना का ठेका भी आरआर इंजीनियर को दे दिया गया है.