(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Surajpur: बिजली-पानी के अभाव में जंगल में बस गए ग्रामीण, समझाने के बावजूद वापस गांव आने को नहीं तैयार
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. पार्टियां नए-नए वादों के साथ जनता के बीच जा रही है लेकिन राज्य में कई ऐसे लोग मौजूद हैं जो बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं.
Surajpur News: सूरजपुर (Surajpur) जिले के बलियारी गांव के ग्रामीण आज भी बिजली, सड़क और पानी जैसे बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं. पानी की किल्लत होने के कारण ग्रामीणों की समस्याएं दूर होने का नाम नहीं ले रही है. जिसके कारण वे आए दिन जंगलों (Forest) में अपना ठिकाना बदलते रहते हैं. आज तक उनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं बन सका. बारिश (Rain) के कारण समस्या से तंग आकर वे जंगल के बीच खानाबदोश जीवन बिता रहे हैं. इसके बावजूद ग्रामीणों को बलियारी जंगल से भी विस्थापित होने का भय सता रहा है.
बलियारी में पहाड़ी पर विशेष संरक्षित जनजाति पण्डो समाज के 50 से अधिक लोग दशकों से रह रहे हैं. ग्रामीणों के जीवन यापन के लिए पहाड़ पर उनके स्वामित्व की पर्याप्त जमीन है, लेकिन सिंचाई का कोई साधन उपलब्ध न होने के कारण ज्यादा समय तक खेती नहीं कर पाते हैं. गांव का एक मात्र हैंडपंप खराब हो जाने से परेशान ग्रामीणों ने वर्ष 2013 में अपना घर बार छोड़कर गुरूघासी नेशनल पार्क में नदी किनारे के जंगल को अपना बसेरा बनाया था. इसकी जानकारी मिलने पर वन अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें वापस अपने गांव जाने के लिए राजी किया था.
समझाने पर भी जंगल छोड़ने को तैयार नहीं लोग
कुछ महीनों तक भीषण पेयजल समस्या से जूझने के बाद ग्रामीणों ने बलियारी जंगल में रेडिया नदी के किनारे अपनी अस्थाई बस्ती बसा ली. ग्रामीणों ने अब जंगल की भूमि को खेत बना दिया है. नदी के पानी से सिंचाई कर अच्छी खेती कर रहे हैं. वन भूमि में वर्षों से निवास कर रहे ग्रामीणों को वापस अपने गांव लौटने वन अधिकारी कई बार समझाइश दे चुके हैं. वन अधिकारियों की सख्ती के बाद कई ग्रामीण अपने गांव लौट गए हैं जबकि लगभग 35 परिवार अभी भी जंगल में ही रह रहे हैं. जंगल में प्रशासन उन्हें कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता. ऐसी परिस्थितियों में बेहद कठिन जीवन जीने के बावजूद ग्रामीण अपने भविष्य का निर्णय नहीं कर पा रहे हैं.
शिक्षा से वंचित हैं बच्चे
इधर दूसरी ओर शिक्षा के अभाव में बच्चों का भविष्य भी अंधकार में जाते दिख रहा है. हालांकि प्रशासन द्वारा स्कूल खोला गया है, लेकिन दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण वहां शिक्षकों की कमी बनी हुई हैं. चर्चा के दौरान पण्डो परिवार ने बताया कि उनको राशन लेने के लिए भी पहाड़ी रास्ते का सफर तय कर 20 किमी दूर जाना पड़ता है तब कहीं जाकर राशन मिल पाता है.
तेंदूपत्ता पर गुजर-बसर कर रहे हैं लोग
परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे यहीं खेती करने के साथ मवेशियों का पालन करते हैं और तेंदूपत्ता तोड़कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. पूर्व में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव सहित क्षेत्रीय विधायक पारसनाथ राजवाड़े के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रशासनिक अमले ने गांव पहुंच मूलभूत सुविधाओं के विस्तार का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कारगर पहल नहीं हो सका है.
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