सूरजपुर के किसानों ने 5 मुठ्ठी धान की बुवाई कर मनाया कठोरी पर्व, सालों पुरानी पंरपरा को निभाने उमड़ी भीड़
Kathor Festival 2024: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता और सालों पुरानी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है. प्रदेश सूरजपुर के किसानों ने सालों पुराने कठोरी पर्व को पूरे धूमधाम से मनाया.
Kathor Festival in Surajpur: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में अच्छी बारिश होने और फसल की पैदावार होने की कामना के साथ गांव में रोग, समस्या, दरिद्रता को दूर भगाने के लिए किसान हर साल कठोरी पर्व धूमधाम से मनाते हैं. इस साल भी ग्राम पंचायत ऊंचडीह में ग्रामीण किसानों ने कठोरी पर्व धूमधाम से मनाया.
इस दौरान ग्रामीणों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और अच्छी फसल के लिए पूजा स्थल पर ही 5-5 मुट्ठी धान बोकर खेती की शुरूआत की. किसानों की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए देवताओं को प्रसन्न करने के लिए नारियल फोड़कर पूजा-अर्चना की गई.
किसान करते हैं भगवान को मनाने की कोशिश
कठोरी पर्व का किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है. ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इसे पूरे उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं. इस पर्व पर किसान अच्छी बारिश और अच्छी फसल के लिए पूजा अर्चना करते हैं और पूरे विधि- विधान से पूजा अर्चना कर भगवान को मनाने की कोशिश करते हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि परंपरा के अनुसार स्थानीय महादेव मंदिर परिसर में दोपहर के बाद ग्रामीण एकत्र हुए और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई. ग्रामीणों के मुताबिक, इस मौके पर किसान अपने साथ बांस से बनी टोकनी लाते हैं, जिसे स्थानीय बोली में मोरा कहते हैं.
पर्व पर निभाई जाती है ये परंपरा
उसमें धान हल में लगने वाले लोहे के साथ हल चलाते समय बैलों को हांकने वाला पैना साथ लाया जाता है. धान की बुवाई कर अच्छे फसल की कामना की जाती है. इस दौरान गांव के बैगा सुरित राम, बैगा फुलेश्वर राजवाड़े, भैयालाल राजवाड़े, उप सरपंच प्रतिनिधि घनश्याम राजवाड़े, कंवलसाय यादव रामदास राजवाड़े सहित भारी संख्या में ग्रामीण किसान उपस्थित रहे.
तालाब, कुएं से पानी भरना माना जाता है अशुभ
ग्रामीणों ने बताया कि कठोरी पर्व के दिन ग्रामीण कुंआ, तालाब, नल, हैंडपंप और अन्य जलाशयों से पानी नहीं भरते. कठोरी पर्व से एक दिन पहले या रात में ही आवश्यकता अनुसार ग्रामीणों द्वारा पहले दिन पानी भर लिया जाता है. कठोरी के दिन तक जमीन की खुदाई भी नहीं की जाती है.
इस बात के लिए किया जाता है दंडित
कठोरी होने के बाद नये घड़े में या दूसरे बर्तन में पूजन किए हुए पानी को घर-घर ले जाकर बांटा जाता है. इसके बाद इस पानी को घर के भीतर छिड़कने के बाद ही घरों में हैंडपंप से पानी भरा जाता है. ऐसा करते पाये जानें वालों पर सामूहिक रूप से ग्रामीणों द्वारा आर्थिक दंड से दंडित किया जाता है.
ये भी पढ़ें:
बेमौसम बारिश से बस्तर के किसान परेशान, फसल खराब होने से लाखों का नुकसान, सब्जियां महंगी