Surajpur Power Crisis : तपती चिलचिलाती धूप में अगर दिनभर या बार-बार बिजली गुल हो जाए तो अक्सर लोग विद्युत विभाग को कोसते हैं. लेकिन बिजली की आंख मिचौनी से अगर हज़ारों किसानों की मेहनत की कमाई दांव पर लग जाए तो फिर पूरे प्रशासनिक सिस्टम पर सवाल उठना लाज़मी है.


तेज हवाओं ने पहले ही किया परेशान
सूरजपुर जिले के सुखरी फ़ीडर के आम लोगों और ख़ासकर सब्ज़ी उत्पादक किसानों को ठीक ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. तीन दिन पहले चली तेज हवाओं ने हज़ारों किसानों के सब्ज़ी की फसल पर संकट खड़ा कर दिया है. व्यवस्था को सुधारने वाले किसानों पर नज़रें इनायत तक नहीं कर रहे हैं.


"भगवान भरोसे है बिजली व्यवस्था"
सूरजपुर ज़िले के सुखरी फ़ीडर की विद्युत व्यवस्था सीएसईबी के हवाले नहीं, बल्कि भगवान भरोसे है. इस फ़ीडर के अंतर्गत आने वाले आठ गांवों में से चार गांवों में बिजली संकट गहरा गया है. तीन दिन से बिजली किसानों के साथ आंख मिचौनी का खेल खेल रही है. दरअसल सीएसईबी ने किसी तरह जुगाड़ से इस फ़ीडर के पांच गांव गणेशपुर, गोपालपुर, कमलपुर और वीरपुर में तीन दिन पहले आई विद्युत कटौती की समस्या में सुधार किया. 


मजबूर हैं किसान
गर्मी के मौसम में सिंचाई के लिए सैकड़ों मोटर के बढ़ते दबाव के कारण अलग अलग जगह पर फाल्ट आ जा रहा है. कुछ मिनट रहकर बिजली फिर लापता हो जा रही है. इससे सब्ज़ी उत्पादक किसान अपने सामने अपनी फसल की बर्बादी देखने को मजबूर हो गए हैं. ग़ौरतलब है कि इन चार गावों में 12 हज़ार की आबादी है और क़रीब 800 एकड़ में सब्ज़ी की पैदावार होती है. 


इन सब्ज़ियों पर संकट
ये चार गांव समेत आसपास का पूरा इलाक़ा संभाग का सबसे अधिक सब्ज़ी उत्पादक क्षेत्र है. हाल के दिनों में करीब  800 एकड़ में सबसे अधिक तरबूज़, करेला, खीरा, लौकी, मक्का और बरबटी जैसे सब्ज़ियां खेतों में लगी हैं. सभी सब्जियों की फसल पर फूल के बाद फल आने का समय भी हो गया है. लेकिन, बिजली की इस समस्या के कारण किसान खेतों में ड्रिप एरिगेशन या साधारण सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. आलम ये है कि किसान जिस सब्ज़ी के उत्पादन के लिए पिछले कई महीनो से खेतों में पसीने बहा रहे हैं, उस पर बिजली समस्या के कारण ग्रहण लगने के आसार दिख रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ अगर बिजली की आंख मिचौनी का खेल ऐसे ही चलता रहा तो फिर प्रति किसान 2 लाख रूपए के हिसाब से पूरे क्षेत्र के किसानों को करोड़ों का नुक़सान संभव है. 


नहीं बन रहा सब स्टेशन
जिले के सुखरी फ़ीडर में बढ़ते बिजली के दबाव और सब्ज़ी के बंपर उत्पादन को देखते हुए इस फ़ीडर में नए सब स्टेशन की मांग वर्षों से की जा रही है. लोगों की मांग के बाद इसके लिए सर्वे भी किया गया. कमलपुर पंचायत में ग्राम पंचायत ने ज़मीन भी चिन्हित कर ली. इसके बाद सब स्टेशन लगाने का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है. लेकिन, वर्षों बीत जाने के बाद भी आज तक न ही ज़िला प्रशासन के कान में जूं रेंगा और न सीएसईबी के अधिकारियों ने संवेदनशीलता दिखाई. परिणाम ये है कि खेत में लगे सिंचाई पंप के लोड तले पूरा विद्युत सिस्टम बार-बार धराशायी हो जा रहा है. 


पीने के पानी का भी संकट 
यह स्थिति केवल तीन दिनों की नहीं है. इस इलाके में बिजली संकट कई वर्षों से है. कब बिजली गोल हो जाए, इसका कोई टाइम टेबल नहीं है. इसकी वजह से ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी और मवेशियों के पीने का पानी का संकट भी ख़ासकर गर्मियों के दिन में गहरा जाता है. ऐसे में इन दिनों मवेशी तक पानी पीने के लिए तरह रहे हैं. गरीब तबके के लोग तो ढोढी (कच्चा कुआं) का पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं. इससे बिमारी बढ़ने के भी आसार भी रहते हैं. इतना ही नहीं 


क्या कहा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने
इस मामले को लेकर जब एबीपी न्यूज ने सूरजपुर के ईई बसंत सोम जी से बात की तो पहले तो उन्हें इस इलाक़े की ही जानकारी नहीं थी. बाद में जब उन्हें लोकेशन बताया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे अपने निचले अधिकारियों से जानकारी लेनी पड़ेगी. वैसे उन्होंने कहा कि किसी किसान का फ़ोन आया था. हालांकि बाद में ईई साहब ने कहा कि उनके जेई ने बताया कि वहां रेलवे लाइन क्रास करके लाइन गई है. उसमे फाल्ट आ जाता है. क्रासिंग लाइन में पाइप नहीं डाली गई है. इसे बदलना मुश्किल काम है. क्योंकि ये सेंट्रल मिनिस्ट्री का है. इसलिए बहुत माथा पच्ची करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रपोज़ल भेजेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सब स्टेशन बहुत दूर की बात है. अभी इसमें टाइम लगेगा.


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