Surajpur News: छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाके में बारिश की बेरुखी ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है. इसमें सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं. धान बुवाई के बाद पौधे तैयार हो चुके हैं, लेकिन रोपाई करने के लिए खेतों में ज्यादा पानी की आवश्यकता है. जब तक अच्छी बारिश नहीं होगी, तब तक किसान रोपाई का काम शुरू नहीं कर सकेंगे. जिससे खेती पिछड़ जाएगी और उत्पादन भी प्रभावित होगा.
ऐसे समय में सूरजपुर (Surajpur) जिले के किसानों ने बारिश के लिए पुरानी मान्यताओं के अनुसार, मेंढक और मेंढकी का विवाह कराकर इंद्रदेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया है. प्रदेश में कहीं-कहीं बारिश आफत बनकर बरस रही है, तो वहीं सूरजपुर जिले में बारिश नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच गई हैं. जिले में लोगों की मुख्य आय का स्रोत खेती ही है. किसानों ने खेतों में धान की बुवाई कर दी है.
बारिश का इंतजार में किसान
जिनके कुओं, तालाबों, डबरी में पानी है वो मोटर पंपों के माध्यम से सिंचाई कर रोपा लगा रहे है, लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए जलस्रोत ही नहीं है. ऐसे किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं. ज्यादातर किसानों को बारिश नहीं होने से अब अपनी फसल की चिंता सता रही है. इसको लेकर अब किसान पुराने समय के टोटके का सहारा ले रहे हैं. दरअसल, जिले के किसानों को आषाढ महिने के बाद सावन में अच्छी बारिश होने की उम्मीद थी, लेकिन सावन महिने में बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें आ गई हैं. जिसको लेकर किसान चिंतित और परेशान हैं.
ऐसे कर रहे इंद्रदेव को प्रसन्न करने की कोशिश
वहीं अब किसान बारिश कराने के लिए पुरानी मान्यता के अनुसार, मेंढक और मेंढकी का विवाह करा कर इंद्रदेव को प्रसन्न करने में लगे हैं. मेंढक और मेंढकी के विवाह का नजारा सूरजपुर जिले के ग्राम दर्रीपारा में देखने को मिला. यहां लोगों ने पुरानी मान्यता के अनुसार, पूरी रीति-रिवाजों के साथ मेंढक और मेंढकी का विवाह संपन्न कराया और इंद्रदेव से अच्छी बारिश की कामना की. अब देखना होगा कि पुरानी मान्यता के अनुसार मेंढक-मेंढकी की शादी कराए जाने के बाद इंद्र देवता प्रसन्न होकर बारिश कराते हैं या किसानों को और इंतजार करना होगा.
बारिश की स्थिति खराब
स्थानीय निवासी सुनील साहू ने बताया कि, खेती का समय बीतने को है और बारिश की स्थिति खराब है. सूरजपुर जिले में ही नहीं पूरे संभाग में कहीं बारिश नहीं हो रही है. इसलिए किसान चिंतित और परेशान हैं. इन्ही परेशानियों से निजात पाने के लिए तरह-तरह के जुगत लगा रहे हैं. पहले के लोगों की मान्यता है कि मेंढक और मेंढकी का विवाह करने से बरसात हुआ करती थी. इसलिए इस परंपरा को पुनः याद करके गोविंदगढ़ और दर्रीपारा के लोगों ने देवस्थल में मेंढक और मेढ़की का विवाह कराया.
उन्होंने बताया कि इसमें एक गांव के लोग दूसरे गांव में मेंढक की ओर से बारात के रूप में आते हैं. ऐसा करके इंद्रदेव को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है, जिससे क्षेत्र में अच्छी बारिश हो और किसान खेती-बाड़ी कर सकें.
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