Surajpur News: राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव 19 से 20 अप्रैल तक आयोजित किया गया जिसमें सूरजपुर जिला पुरातत्व संघ के सदस्य अजय कुमार चतुर्वेदी शामिल हुए. इस महोत्सव में उन्होंने सरगुजा अंचल के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन गाथा पर आधारित रिसर्च पेपर की प्रस्तुति दी और सरगुजा अंचल को गौरवान्वित किया.
'37 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की खोज की जा चुकी'
इस महोत्सव में सरगुजा अंचल के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कार्य कर रहे अजय चतुर्वेदी ने बताया कि आजादी की लड़ाई में सरगुजा अंचल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. अभी तक सरगुजा संभाग से 37 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की खोज की जा चुकी है. जिसमे जनजातीय समुदाय के तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है. इनमें कुछ सेनानियों की कर्मभूमि और जन्मभूमि सरगुजा है.
अजय कुमार चतुर्वेदी ने आगे बताया कि उन्होंने अब तक सरगुजा अंचल से 37 सेनानियों को ढूंढ लिया है, जिसमे सरगुजा जिले से 12, कोरिया जिले से 11, जशपुर जिले से 8, बलरामपुर जिले से 3 और सूरजपुर जिले से 2 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम शामिल है. इनके परिजनों से मिलकर इनकी जीवन गाथा का लेखन किया जा रहा है, जिनकी जीवन पर आधारित रूपक का प्रसारण आकाशवाणी अंबिकापुर से किया जा रहा है.
'जनजातीय समुदाय के तीन स्वतंत्रता सेनानी शामिल'
अजय चतुर्वेदी ने आगे बताया कि उनके शोध में जनजातीय समुदाय के तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम भी शामिल हैं. जिसमें बलरामपुर जिले से स्वर्गीय महली भगत और स्वर्गीय राजनाथ भगत है. जबकि सरगुजा जिले से माझी राम गोंड हैं. माझी राम गोंड पटेलपारा अंबिकापुर सरगुजा में पैदा हुए. जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में सक्रिय भागीदारी निभाई और अंबिकापुर जेल में सजा काटी.
इनकी सजा काल के संबंध में पूर्व विधायक स्वर्गीय रेवती रमण मिश्र ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माझी राम गोंड स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण 1940 में 3 दिन और 42 में 21 दिन अंबिकापुर जेल में रहे.
'महात्मा गांधी के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित'
वहीं जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत महात्मा गांधी के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और एक वर्ष का सश्रम सजा पाकर 25 अक्टूबर 1942 को पटना जेल स्थानांतरित कर दिए गए. वहीं जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजनाथ भगत महात्मा गांधी के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई.
बता दें कि सरगुजा अंचल से देश के लिए लड़ने वाले 26 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम 1989 के सरगुजा गजेटियर में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. सरगुजा अंचल के अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों देश की खातिर लड़ा. किंतु वे आज भी गुमनाम है. ऐसे वीर सपूतों को प्रकाश में लाना ही आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की सार्थकता है.
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