Surajpur Gangrape News: पुलिस कस्टडी से खूंखार आरोपियो के कई किस्से आपने सुना होगा, लेकिन पुलिस घेरे से आरोपी कैसे फ़रार हो सकता है. अगर ये सब समझना और जानना हो, तो आपको छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले पहुंचना होगा और फिर वहां के जयनगर थाना पुलिस से संपर्क करना पड़ेगा.
दरअसल, मामला एक 13 साल की मासूम अबोध बच्ची के साथ गैंगरेप से जुड़ा है. जिसके आरोपियों को पकड़ कर पहले पुलिस ने अपनी पीठ खुद थपथपाई, बाद में आरोपियों को पुलिस ने वीवीआईपी ट्रीटमेंट देते हुए उनके निजी वाहन से न्यायलय और फिर जेल ले गई. ये देखकर जयनगर थाने की पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं.
क्या है मामला?
दरअसल, 25 अप्रैल को थाना क्षेत्र के वीरपुर के जंगल में एक 13 साल की बच्ची के साथ कमलपुर के रहने वाले लड़कों ने गैंगरेप किया. इस मामले में जयनगर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गैंगरेपर जुड़े 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया.
जिले के गणेशपुर की रहने वाली पीड़िता अपनी सहेली के साथ पड़ोस के गांव वीरपुर में शादी देखने गई थी. इसी दौरान कमलपुर के रहने वाले 2 युवकों ने उसके साथ गैंगरेप किया और 6 अन्य युवकों ने उनके इस घिनौने कृत्य में साथ दिया. लिहाजा जयनगर पुलिस ने सभी आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया और न्यायिक अभिरक्षा में न्यायालय में पेश किया.
गैंगरेप के आरोपियों को वीआईपी ट्रीटमेंट
नियमों के मुताबिक आरोपियों को न्यायालय तक ले जाने के लिए पुलिस अपने वाहन का उपयोग करती है, लेकिन ना जाने किस लालच में गैंगरेप के आरोपियो को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया. आरोपियों को जयनगर थाने से सूरजपुर मुख्यालय स्थित न्यायालय और फिर वहां से जिला जेल तक ले जाने के लिए पुलिस ने दो वाहनों का प्रयोग किया.
इस दौरान एक दो आरोपी पुलिस के शासकीय वाहन में बैठे थे और बाकी आरोपी एक काले रंग के निजी कार में बैठे थे. यह कार गैंगरेप में शामिल आरोपियों में से एक की है, इस कार को आरोपी का भाई चला रहा था.
आसानी से फरार हो सकते थे आरोपी
पुलिस के जरिए गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध के अपराधियों को वीआईपी ट्रीटमेंट देना कानूनी तौर पर कितना सही है ये तो पुलिस के आला अधिकारी जाने. जिस तरह गैंगरेप के आरोपी के वाहन से उसके भाई ने निजी से खुद ड्राइव करके न्यायलय और फिर जेल तक पहुंचाया, उससे साफ जाहिर होता है कि जयनगर पुलिस को इस बात का बिलकुल भय नहीं था कि ऐसा करने पर आरोपी आसानी से फरार हो सकते है.
मोबाइल पर बात करते दिखे गैंगरेप के आरोपी
निजी कार में सवार न्यायलय और फिर जाते हुए वीडियो भी वायरल हो रही है. वायरल वीडियो में तो आरोपियों को कार के अंदर बाकायदा मोबाइल का इस्तेमाल करते भी देखा जा रहा है. मतलब अगर आरोपी चाहते तो वो जेल की चारदीवारी के बजाय पुलिस कस्टडी से रफूचक्कर भी हो सकते थे.
इस मामले पर पुलिस के बड़े अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए एसपी, एएसपी से फोन के जरिये बात करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया. बहरहाल, पुलिस की इस बड़ी लापरवाही की आम लोगों में जमकर किरकिरी हो रही है.
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